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प्राचीन भारत के गणतंत्र क्या थे? | महात्मा बुद्ध के समय के 10 गणतंत्र

  • BY:
     RF competition
  • Posted on:
    October 03, 2022

गणतंत्र की परिभाषा

प्राचीन भारत में गणतंत्र कुछ कुलीन लोगों का समूह होता था। ये लोग सामूहिक रूप से सम्पूर्ण कबीले पर शासन करते थे। इनमें से प्रत्येक कबीलाई कुलीन को राजा कहा जाता था। प्रत्येक राजा के पास अपने सेनापति एवं सेनाएँ होती थीं। गणतंत्र व्यवस्था में शासन से सम्बन्धित निर्णय सभी राजा मिलकर लेते थे।

महात्मा बुद्ध के समय के गणतंत्र

महात्मा बुद्ध के समय में मूल रूप से 10 गणतंत्र थे। ये गणतंत्र अपने-अपने कबीलों पर शासन करते थे। ये गणतंत्र निम्नलिखित हैं–
1. कपिलवस्तु के शाक्य
2. सुमसुमारा के भग्ग
3. अलकप्प के बुली
4. केसपुत्त के कलाम
5. रामग्राम के कोलिय
6. कुशीनारा के मल्ल
7. पावा के मल्ल
8. पिप्पलिवन के मोरिय
9. वैशाली के लिच्छवि
10. मिथिला के विदेह।

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कपिलवस्तु के शाक्य

इस गणतन्त्र के प्रमुख नगर कपिलवस्तु, चातुमा, खोमदुस्स, सिलावती, नगरक, देवदह आदि थे। इनमें से कपिलवस्तु इस गणतंत्र की राजधानी थी। इसे शाक्यवंशीय सुकीर्ति ने प्रतिस्थापित करवाया था। शाक्य गणतंत्र के लोग अपनी जाति के बाहर की कन्याओं से विवाह नहीं करते थे। वे केवल अपनी जाति की कन्याओं से विवाह करते थे। महात्मा बुद्ध इसी गणतन्त्र से सम्बन्धित थे। इस गणतन्त्र का विनाश कोशल के राजा बिडूडभ ने किया था।

वैशाली के लिच्छवि

महात्मा बुद्ध के समय का यह सबसे बड़ा और शक्तिशाली गणतन्त्र था। लिच्छवि वज्जिसंघ में सर्वप्रमुख था। इस गणतन्त्र की राजधानी वैशाली थी। यह वर्तमान मुज़फ्फरपुर जिले के बसाढ़ नामक स्थान पर अवस्थित थी। 'महावग्ग जातक' की कथा के अनुसार वैशाली एक धनी, समृद्ध और घनी आबादी वाला नगर था। लिच्छवि का प्रसिद्ध राजा चेटक था। इसकी पुत्री चेलना (छलना) का विवाह मगध के राजा बिम्बिसार के साथ हुआ था। इसके अलावा राजा चेटक की बहन त्रिशला का विवाह वज्जि संघ के ज्ञातृक कुल के प्रधान सिद्धार्थ के साथ हुआ था। इन्हीं सिद्धार्थ और त्रिशला के पुत्र वर्धमान महावीर थे, जिन्होंने भारतीय समाज को एक नई दिशा दिखाई थी। लिच्छवी गणतन्त्र के लोगों ने महात्मा बुद्ध के निवास के लिए एक कूटाग्रशाला का निर्माण करवाया था। इस कूटाग्रशाला में रहकर महात्मा बुद्ध ने समाज के लोगों को अपने उपदेश प्रदान किए थे।

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सुमसुमारा के भग्ग

सुमसुमारा के भग्ग ऐतरेय ब्राह्मण में वर्णित 'भर्ग वंश' से सम्बन्धित थे। यह गणतंत्र वर्तमान मिर्ज़ापुर जिले की चुनार में अवस्थित था।

मिथिला के विदेह

इस गणतंत्र के राजा जनक थे। वे अपनी शक्ति और दार्शनिक ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे। इस गणतंत्र की राजधानी मिथिला वर्तमान जनकपुर में स्थित थी।

अलकप्प के बुली

इस गणतन्त्र की राजधानी बेतिया (वेठद्वीप) थी। इस गणतन्त्र के लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी थे। बुली गणतन्त्र वर्तमान बिहार राज्य के शाहाबाद, आरा और मुज़फ्फरपुर जिलों के मध्य अवस्थित था।

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केसपुत्त के कलाम

वैदिक ग्रन्थों के अनुसार केसपुत्त के कलामों का सम्बन्ध पांचाल जनपद के 'केशियों' के साथ था। महात्मा बुद्ध के गुरु आचार्य अलार कलाम इस गणतन्त्र से सम्बन्धित थे। महात्मा बुद्ध ने उनसे सांख्य दर्शन की दीक्षा प्राप्त की थी।

पिप्पलिवन के मोरिय

मोरों के प्रदेश के निवासी होने के कारण इस गणतन्त्र के लोगों को 'मोरिय' कहा गया था। मोरिय शब्द से 'मौर्य' शब्द उत्पन्न हुआ है। मगध के सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य इसी वंश से सम्बन्धित थे।

रामग्राम के कोलिय

इस गणतंत्र की राजधानी रामग्राम वर्तमान गोरखपुर जिले के रामगढ़ ताल में अवस्थित थी। इस गणतन्त्र के लोग अपनी पुलिस शक्ति के लिए प्रसिद्ध थे।

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कुशीनारा के मल्ल

महर्षि वाल्मीकि की रामायण में कुशीनारा के मल्लों को श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण के पुत्र चन्द्रकेतुमल्ल का वंशज कहा गया है।

पावा के मल्ल

यह गणतन्त्र वर्तमान कुशीनगर जिले के पडरौना नामक स्थान पर अवस्थित था। इस गणतन्त्र के लोग सैनिक प्रवृत्ति के थे।

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आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.

R. F. Tembhre
(Teacher)
pragyaab.com

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