मध्य प्रदेश के पर्यटन स्थल 'ओरछा' का इतिहास
ओरछा का परिचय
ओरछा मध्य प्रदेश का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड सम्भाग में बेतवा नदी के तट पर अवस्थित है। यह नगर झाँसी से केवल 16 किलोमीटर दूर है। यहाँ के महल और मन्दिर बहुत सुन्दर हैं, इसलिए ये महल और मन्दिर देश-विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। पुराने समय में ओरछा बुन्देलखण्ड की राजधानी हुआ करती थी। ओरछा में प्राचीन वास्तुकला की इमारतों के खण्डहर बिखरे पड़े हुए हैं।
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हिन्दु राजाओं के शासनकाल में ओरछा
भारत के मध्यकालीन इतिहास में ओरछा परिहार राजाओं की राजधानी हुआ करती थी। परिहार राजाओं के पश्चात् इस पर चन्देल राजाओं ने अधिकार कर लिया। चन्देल राजाओं का संरक्षण समाप्त होने के पश्चात् ओरछा का विकास धीमा हो गया। आगे चलकर बुन्देल शासकों ने ओरछा को अपनी राजधानी बनाया। इससे ओरछा को पुनः अपना गौरव प्राप्त हो गया था। वर्तमान ओरछा को राजा रुद्रप्रताप ने बसाया था। 1531 ई. के दौरान इस नगर की स्थापना की गई थी। यहाँ के किले के निर्माण में आठ वर्ष का समय लग गया था। ओरछा का महल राजा भारतीचन्द के समय 1539 ई. में बनकर पूर्ण हो गया था। साथ ही इसी सन् में राजा भारतीचन्द ने अपनी राजधानी गढ़कुंडार से परिवर्तित करके ओरछा कर ली थी।
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मुगलों के समय में ओरछा
मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान ओरछा के राजा मधुकर शाह थे। इन्होंने अकबर के साथ अनेक युद्ध लड़े थे। आगे चलकर अकबर के पुत्र जहाँगीर ने वीर सिंहदेव बुन्देला को पूरे ओरछा राज्य की गद्दी दे दी थी। इससे पहले वीर सिंहदेव ओरछा राज्य की बड़ौनी जागीर का स्वामी था। अकबर के शासनकाल के दौरान वीर सिंहदेव ने जहाँगीर के कहने पर अकबर के दरबारी विद्वान् अबुल फजल को मरवा दिया था। मुगल सम्राट शाहजहाँ ने भी ओरछा राज्य के विरूद्ध अनेक युद्ध किये थे, किन्तु अधिकांश युद्धों में उसे असफलता ही मिली थी। अन्त में मुगलों द्वारा जुझार सिंह को ओरछा का राजा स्वीकार कर लिया गया था। औरंगजेब के शासनकाल के दौरान बुन्देलखण्ड में छत्रसाल की शक्ति बढ़ी हुई थी।
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ओरछा की संस्कृति
भारत के इतिहास में प्राचीन काल से ही ओरछा का विशेष महत्व रहा है। इसी प्रकार बुन्देलखण्ड का भी अपना विशेष स्थान रहा है। बुन्देलखण्ड की लोक-कथाओं का नायक हरदौल है। वह ओरछा के राजा वीर सिंहदेव का छोटा पुत्र तथा जुझार सिंह का छोटा भाई था। ओरछा के राजा हिन्दी के कवियों को सदैव आश्रय देते थे। महाकवि केशवदास ओरछा के राजा वीर सिंहदेव के राजकवि थे।
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R F Temre
pragyaab.com
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