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दक्षिण भारत की वास्तुकला- महाबलीपुरम की वास्तुकला | Architecture of South India- Architecture of Mahabalipuram

उत्तर भारत में विभिन्न उपशैलियों के साथ नागर शैली विकसित हुई। इसी प्रकार दक्षिण भारत में भी एक विशिष्ट शैली विकसित हुई।
दक्षिण भारत में पल्लव शासक महेन्द्रवर्मन की देख-रेख में मंदिर वास्तुकला प्रारंभ हुई। पल्लव शासकों के संरक्षण में विकसित वास्तुकला को व्यक्तिगत शासकों की उप शैलियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसके अंतर्गत चार चरण शामिल हैं-

North India developed Nagara style with various substyles. Similarly a distinctive style developed in South India too.
Temple architecture started in South India under the supervision of Pallava ruler Mahendravarman. The architecture developed under the patronage of the Pallava rulers can be classified into sub-styles of individual rulers. It consists of four steps-

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1. भारत की वास्तुकला, मूर्तिकला एवं मृद्भाण्ड
2. हड़प्पा सभ्यता के स्थल एवं उनसे प्राप्त वास्तुकला एवं मूर्तिकला के उदाहरण
3. हड़प्पा सभ्यता की वास्तुकला
4. हड़प्पा सभ्यता की मोहरें
5. हड़प्पा सभ्यता की मूर्ति कला
6. हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त मृद्भाण्ड एवं आभूषण

1. महेन्द्र समूह- यह पल्लव मंदिर वास्तुकला का पहला चरण है। पल्लव शासक महेन्द्रवर्मन के समय चट्टानों को काटकर मन्दिरों का निर्माण किया जाता था। इस अवधि में मंदिर को मंडप कहा जाता था। जबकि नागर शैली में मंडप से तात्पर्य केवल सभा-हॉल से है।

1. Mahendra Group - This is the first phase of Pallava temple architecture. During the time of Pallava ruler Mahendravarman, temples were built by cutting rocks. In this period the temple was called Mandap. Whereas in Nagara style the mandapa refers only to the hall.

2. नरसिंह समूह- यह दक्षिण भारत में मंदिर वास्तुकला के विकास का दूसरा चरण था। इस अवधि में चट्टानों को काटकर बनाये गये मंदिरों की दीवारों को आकर्षक उत्कृष्ट मूर्तियों द्वारा सजाया जाता था। नरसिंह वर्मन के संरक्षण में विकसित मंदिर वास्तुकला के अंतर्गत मंडपों को रथों में विभाजित किया गया है। सबसे बड़े रथ को धर्मराज रथ एवं सबसे छोटे रथ को द्रौपदी रथ कहा जाता है। वास्तुकला की द्रविड़ शैली के मंदिर, धर्मराज रथ के परिवर्ती हैं।

2. Narasimha Group- This was the second phase of the development of temple architecture in South India. The walls of the rock-cut temples during this period were decorated with attractive exquisite sculptures. Under the temple architecture developed under the patronage of Narasimha Varman, the mandapas are divided into chariots. The largest chariot is called Dharmaraja Ratha and the smallest one is called Draupadi Ratha. Temples of Dravidian style of architecture are the successors of Dharmaraja Ratha.

"भारतीय कला एवं संस्कृति" के इन 👇 प्रकरणों को भी पढ़ें।
1. मौर्य कला एवं स्थापत्य कला
2.मौर्य काल की दरबारी कला
3. मौर्य काल की लोकप्रिय कला
4. मौर्योत्तर कालीन कला की जानकारी
5. मौर्योत्तर काल की स्थापत्य कला- गुफाएँ एवं स्तूप

3. राजसिंह शैली- राजसिंह ने मंदिर वास्तुकला के विकास के तीसरे चरण का नेतृत्व किया। इस अवधि में पत्थरों को काटकर मंदिर निर्माण के स्थान पर वास्तविक संरचात्मक शैली से मंदिर बनाये गए।
उदाहरण- महाबलिपुरम का समुद्र तटीय मंदिर, काँचीपुरम का कैलाशनाथ मंदिर आदि।

3. Rajasimha Style- Raj Singh led the third phase of development of temple architecture. During this period, temples were built in the original structural style instead of cutting stones.
Example- Seaside temple of Mahabalipuram, Kailashnath temple of Kanchipuram etc.

महाबलीपुरम की वास्तुकला एवं मूर्तिकिला- तमिलनाडु के पल्लव राजवंश के संरक्षण में प्राचीन पत्तन ममल्लापुरम (महाबलीपुरम) में विभिन्न मंदिर निर्माण की वास्तुकला शैलियों का विकास हुआ। सातवीं सदी के आसपास के निर्मित इन पल्लव स्थलों को 'महाबलीपुरम के स्मारक समूह' के नाम से जाना जाता है। इन्हें सन् 1984 मे यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर में सम्मिलित किया। ये निम्नलिखित हैं-

Architecture and Sculpture of Mahabalipuram- Under the patronage of the Pallava dynasty of Tamil Nadu, the ancient port of Mamallapuram (Mahabalipuram) developed various architectural styles of temple construction. These Pallava sites, built around the 7th century AD, are known as 'Group of Monuments of Mahabalipuram'. In 1984, UNESCO included them in its World Heritage. These are the following-

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1. मौर्योत्तर कालीन मूर्तिकला- गांधार, मथुरा और अमरावती शैली
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3. यूनानी कला एवं रोमन मूर्ति-कला
4. शरीर की विभिन्न मुद्राएँ - महात्मा बुद्ध से संबंधित
5. हिन्दू मंदिरों के महत्वपूर्ण अवयव- गर्भगृह, मंडप, शिखर, वाहन

1. रथ मंदिर या पंच रथ- इन्हें पाण्डवों के रथ के नाम से जाना जाता है। चट्टानों को काटकर बनाये गये ये मंदिर भारतवर्ष के प्राचीन मंदिरों में से एक है। इनके अंतर्गत धर्मराज रथ, भीम रथ, अर्जुन रथ, नकुल रथ, सहदेव रथ और द्रौपदी रथ शामिल हैं। ये मंदिर सातवीं सदी के आस-पास के हैं। इनमें से धर्मराज रथ सबसे बड़ा है।

1. Rath Mandir or Panch Ratha- These are known as the chariots of the Pandavas. This rock-cut temple is one of the ancient temples of India. These include Dharmaraja Ratha, Bhima Ratha, Arjuna Ratha, Nakula Ratha, Sahadeva Ratha and Draupadi Ratha. These temples date back to the seventh century. Of these, Dharmaraja Ratha is the largest.

2. चट्टानों को काटकर बनायी गयी गुफाएँ- इसके अंतर्गत वराह गुफा मंदिर, कृष्ण गुफा मंदिर, पंच पांडव गुफा मंदिर और महिषासुरमर्दिनी (देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध करते हुए प्रतिमा) शामिल हैं।

2. Rock-cut caves- These include Varaha Cave Temple, Krishna Cave Temple, Pancha Pandava Cave Temple and Mahishasuramardini (Statue of Goddess Durga killing Mahishasura).

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1. गुप्त कालीन वास्तुकला- गुफाएँ, चित्रकारी, स्तूप और मूर्तियाँ
2. गुप्त काल में मंदिर वास्तुकला के विकास के चरण
3. प्राचीन भारत में मंदिर वास्तुकला की प्रमुख शैलियाँ
4. उत्तर भारत की वास्तुकला की नागर शैली- ओडिशा, खजुराहो और सोलंकी शैली

3. खुली हवा में नक्काशी- इसके अंतर्गत गंगा अवतरण सम्मिलित है। इसमें दो विशाल शिलाखण्डों पर अर्जुन की तपस्या था भगीरथ की तपस्या को उकेरा गया है। इसमें भगीरथ के प्रयासों से स्वर्ग की गंगा के धरती पर अवतरित होने की कथा को उकेरा गया है। इसके निकट एक विशाल शिलाखंड है, जिसे Kosishna's butter ball कहा जाता है।

3. Carving in the open air- This includes the descent of the Ganges. In this, Arjuna's penance was on two huge boulders, the penance of Bhagirath has been engraved. In this, the story of the descent of the Ganges of heaven to earth has been engraved with the efforts of Bhagiratha. Near it is a huge boulder called Kosishna's butter ball.

4. तटीय मंदिर परिसर- इसमें दो छोटे और एक बड़ा मंदिर शामिल हैं। ये मंदिर एक दो मंजिले दीवारों से घिरे प्रांगण में स्थित हैं। इन पर भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा अंकित है। ये मंदिर मुख्यरूप से भगवान शिव को समर्पित हैं। इन तीनों मंदिरों में से एक में भगवान विष्णु के अनंतशयन की प्रतिमा है।

4. Coastal Temple Complex- It consists of two small and one big temple. These temples are situated in a two-storeyed courtyard surrounded by walls. The idol of Nandi, the vehicle of Lord Shiva, is inscribed on them. These temples are mainly dedicated to Lord Shiva. In one of these three temples, there is an idol of Anantasayana of Lord Vishnu.

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1. मध्य प्रदेश की पुरातात्विक विरासत
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5. नंदिवर्मन शैली- पल्लव राजवंश के शासन के दौरान मंदिर वास्तुकला के चौथे चरण का विकास हुआ। इस अवधि के मंदिर आकार में छोटे होते थे तथा इनकी शेष विशेषताएँ द्रविड़ शैली के मंदिरों के समान ही है।

5. Nandivarman style- The fourth phase of temple architecture developed during the rule of the Pallava dynasty. The temples of this period were smaller in size and their remaining characteristics are similar to the temples of Dravidian style.

पल्लव राजवंश के पतन के पश्चात् चोल शासकों के संरक्षण में मंदिर निर्माण वास्तुकला की एक नवीन शैली का विकास हुआ, जिसे दक्षिण भारत की मंदिर स्थापत्य की द्रविड़ शैली के नाम से जाना जाता है। यह दक्षिण भारत में मंदिर स्थापत्य कला के विकास का एक नया युग था। इसके बाद मंदिर वास्तुकला की निम्नलिखित अलग-अलग शैलियाँ विकसित हुईं-
1. वेसर शैली
2. नायक शैली
3. विजयनगर शैली।

After the fall of the Pallava dynasty, a new style of temple building architecture developed under the patronage of the Chola rulers, which is known as the Dravidian style of temple architecture of South India. This was a new era in the development of temple architecture in South India. After this the following different styles of temple architecture developed-
1. Weser Style
2. Hero Style
3. Vijayanagara style.

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4. चक्रवर्ती सम्राट राजा भोज
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आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।
R F Temre
rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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