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विषयवस्तु विवरण



मानव जनन तन्त्र (Human Reproductive System)

मानव जनन तन्त्र दो प्रकार का होता है।
1. मानव का नर जनन तन्त्र
2. मानव का मादा जनन तन्त्र

1. मानव का नर जनन तन्त्र

प्राथमिक एवं मुख्य जननांग वृषण तथा सहायक जननांगों अधिवृषण, शुक्रवाहिनियों, शुक्राशय, मूत्रमार्ग, शिश्न एवं सहायक ग्रन्थियों; जैसे—प्रोस्टेट, काउपर एवं पेरीनियल ग्रन्थि से मिलकर बना होता है। मानव का शुक्राणु भाँलाकार होता है तथा शीर्ष, ग्रीवा, मध्य भाग एवं पुच्छ में बँटा होता है। इसमें शीर्ष में केन्द्रक एवं एक्रोसोम तथा मध्य भाग में माइटोकॉण्ड्रिया उपस्थित होती है।

2. मानव का मादा जनन तन्त्र

एक जोड़ी प्राथमिक जननांग अण्डाशय एवं सहायक जननांगों अण्डवाहिनियाँ, गर्भाशय, योनि, भग तथा सहायक ग्रन्थियों; जैसे—बार्थोलिन एवं पेरीनियल ग्रन्थि द्वारा मिलकर बना होता है। पुरुष एवं स्त्रियों के गौण लैंगिक लक्षण लैंगिक हॉर्मोनों द्वारा नियन्त्रित होते हैं। टेस्टोस्टेरॉन प्रमुख नर हॉर्मोन है, जबकि प्रोजेस्ट्रेरॉन एवं एस्ट्रोजन मादा हॉर्मोन हैं।

मानव में जनन के चरण (Steps of Reproduction in Human)

जन्तुओं में जनन मुख्यतया तीन चरणों में सम्पन्न होता है।

1. युग्मकजनन (Gametogenesis)

युग्मकों के निर्माण की प्रक्रिया युग्मकजनन कहलाती है। युग्मकजनन में जनन कोशिका में अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित कोशिकाओं का निर्माण होता है, जो युग्मक कहलाते हैं। वृषण में नर युग्मक से शुक्राणु बनने की क्रिया शुक्राणुजनन तथा अण्डाशय में मादा युग्मक से अण्ड बनने की क्रिया अण्डजनन कहलाती है।

2. निषेचन (Fertilisation)

अगुणित शुक्राणु तथा अण्डाणु के संलयन से द्विगुणित युग्मनज (Zygote) बनने की प्रक्रिया को निषेचन कहते हैं। जन्तुओं में निषेचन दो प्रकार का होता हैं।

(i) बाह्य निषेचन (External Fertilisation)

जब निषेचन मादा के शरीर के बाहर होता है, तो वह बाह्य निषेचन कहलाता है। यह सदैव जलीय माध्यम में होता है, जैसे-मेढ़क, मछली, आदि।

(ii) आन्तरिक निषेचन (Internal Fertilisation)

इसमें निषेचन मादा के शरीर के अन्दर होता है। यह मादा की जनन वाहिनियों के अन्दर होता है। सर्पों एवं मुर्गियों में आन्तरिक निषेचन होता है, परन्तु इनके बच्चे का विकास इनके शरीर के बाहर अण्डों में होता है। अतः ये अण्डज हैं। मानव, गाय, आदि में आन्तरिक निषेचन एवं भ्रूणीय परिवर्द्धन मादा के शरीर के अन्दर ही होता है। अतः ये जरायुज है।

3. युग्मनज का परिवर्धन (Development of Zygote)

युग्मनज एककोशिकीय द्विगुणित संरचना होती हैं। इसमें समसूत्री विभाजन होता है, जिसके फलस्वरूप यह बहुकोशिकीय भ्रूण में बदल जाता है। युग्मनज में इस प्रक्रिया को विदलन कहते हैं।

भ्रूण का परिवर्धन (Developement of Embryo)

1. गर्भाशय में भ्रूण का विकास होता रहता है। भ्रूण की वह अवस्था जिसमें सभी शारीरिक भागों की पहचान हो सके, गर्भ कहलाता है।
2. मानव में गर्भकाल निषेचन से 266 दिन अथवा 9 माह का होता है।

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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