राष्ट्रपति की शक्तियाँ | President's Powers
भारतीय संविधान के तहत भारत के राष्ट्रपति को विविध प्रकार शक्तियाँ प्राप्त हैं।
1. केन्द्र सरकार की समस्त शक्तियाँ राष्ट्रपति के हाथों में निहित होती हैं। उसी के नाम से देश की नीतियों का संचालन होता है।
2. उसे विशिष्ट पदों पर नियुक्तियाँ करने का अधिकार है।
3. वह प्रधानमन्त्री एवं अन्य मन्त्रीगण सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों, नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक, निर्वाचन आयुक्तों, वित्त आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्यपालों, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है।
4. राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है। उसके हस्ताक्षर से ही कोई कानून बन सकता है।
5. वह राज्यसभा के लिए कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा, क्षेत्र के 12 सदस्यों को मनोनीत कर सकता है।
6. संविधान के अनुच्छेद 123 के अन्तर्गत असामान्य स्थिति (सत्र नहीं चलने की स्थिति) में वह अध्यादेश जारी कर सकता है।
7. संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को किसी अपराधी की सजा को क्षमा करने, उसका प्रविलम्बन करने, परिहार और कम करने का अधिकार प्राप्त है। वह मृत्युदण्ड को भी माफ कर सकता है।
8. भारतीय संविधान में राष्ट्रपति को तीन स्थितियों में विशिष्ट आपातकालीन शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।
9. संविधान के अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति से राष्ट्रपति को यह समाधान हो जाए कि पूरे भारत या किसी एक भाग की सुरक्षा खतरे में है, तो वह सम्पूर्ण भारत या किसी भाग में आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
10. संविधान के अनुच्छेद 356 के अन्तर्गत यदि कोई राज्य सरकार संवैधानिक उपबन्धों के अनुरूप कार्य नहीं कर रही है तो राज्य के राज्यपाल के सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति वहाँ आपातकाल की घोषणा कर सकता है।
11. संविधान के अनुच्छेद 360 के अन्तर्गत देश में आर्थिक संकट की स्थिति में राष्ट्रपति अपनी विशिष्ट शक्तियों का प्रयोग कर वित्तीय आपात की घोषणा कर सकता है।
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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