भारत में कंप्यूटर की शुरुआत | Introduction Of Computer In India.
भारत में सबसे पहले कंप्यूटर सन् 1952 में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute) या आई. एस. आई. कोलकाता से हुई। भारतीय सांख्यिकी संस्थान में सन् 1952 में एक एनालॉग कंप्यूटर की स्थापना की गई थी। यह भारत का पहला कंप्यूटर था। यह कंप्यूटर 10x10 की मैट्रिक्स को हल कर सकता है। जिसका उपयोग केवल वैज्ञानिक तौर में किया जाता था। इसी समय भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु में भी एक एनालॉग कंप्यूटर स्थापित किया गया था। जिसका उपयोग अवकलन विश्लेषक के रूप में किया जाता था। परंतु इसके बाद मुख्य रूप से कंप्यूटर युग की शुरुआत सन् 1956 में हुई। जब आई.एस.आई. कोलकाता में भारत का प्रथम इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर HEC-2M स्थापित किया गया। यह कंप्यूटर केवल भारत में पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर होने के कारण ही खास नहीं था बल्कि इसलिए खास था क्योंकि इसकी स्थापना के साथ ही भारत, जापान तथा एशिया का दूसरा ऐसा देश बन गया था। जिसने कंप्यूटर तकनीक को अपनाया था और यदि आप जापान को एशिया महाद्वीप का भाग ना माने तो HEC-2M भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का प्रथम डिजिटल कंप्यूटर बन जाता है। यह भारत का प्रथम कंप्यूटर नहीं है परंतु HEC-2M ने ही सही तरीके से भारत में कंप्यूटर तकनीक की शुरुआत की वास्तव में HEC-2M का निर्माण भारत में ना होकर इंग्लैंड में हुआ था। जहाँ से इसे आयात करके आई.एस.आई में निश्चित किया गया था। इसका विकास एंड्रयू डोनाल्ड बूथ द्वारा किया गया था, जो लंदन में बर्कबैंक कॉलेज में कार्यरत प्रोफ़ेसर थे। यह कम्प्यूटर 1024 शब्द की ड्रम मेमोरी युक्त एक 16-बिट का कम्प्यूटर था, जिसका संचालन करने के लिए मशीन भाषा का प्रयोग किया जाता था और इनपुट और आउटपुट के लिए पंच कार्ड्स का प्रयोग किया जाता था, लेकिन बाद में इसमें प्रिन्टर भी जोड़ दिया गया। परन्तु यह देश का प्रथम डिजिटल कम्प्यूटर था, इसलिए सम्पूर्ण देश से विभिन्न प्रकार की वैज्ञानिक समस्याओं का समाधान इस कम्प्यूटर से किया जाता था, जैसे, सुरक्षा विभाग तथा प्रयोगशालाओं से सम्बन्धित समस्याएँ, विभिन्न प्रकार के विश्लेषण आदि।
URAL नामक एक अन्य कम्प्यूटर सन् 1958 में ISI में स्थापित किया गया, ये आकार में HEC-2M से भी बड़ा था। इस कम्प्यूटर को रूस से खरीदा गया था। यह नाम वास्तव में रूस की एक पर्वत श्रृंखला का नाम है। यह कम्प्यूटर भी रूस से खरीदा गया था, इस कारण से इस कम्प्यूटर को यह नाम दिया गया। यह कम्प्यूटर क्षैतिज मैग्नेटिक टेप युक्त एक 32 बिट कम्प्यूटर था, जिसमें इनपुट के रूप में पंचकार्ड्स तथा आउटपुट के रूप में प्रिन्टर का उपयोग किया जाता था। सन् 1964 में इन दोनों कम्प्यूटर्स को तब विराम दे दिया गया, IBM ने ISI में अपना कम्प्यूटर 1401 स्थापित किया। IBM1401, IBM1400 श्रृंखला का पहला कम्प्यूटर था, जिसे सन् 1959 में IBM द्वारा विकसित किया गया था। और ये एक डाटा प्रोसेसिंग सिस्टम कम्प्यूटर था। इस कम्प्यूटर में मुख्य रूप से 1401 प्रोसेसिंग यूनिट थी, जो एक मिनट में 1.93300 योग की गणनाएँ कर सकती थी। और इस कम्प्यूटर में इनपुट के लिए पंचकार्ड्स के साथ-साथ मैग्नेटिक टेप तथा आउटपुट के लिए IBM 1403 प्रिन्टर का प्रयोग किया जाता था। यह सभी कंप्यूटरों में एक समान बात थी कि सभी कंप्यूटर भारत में विकसित नहीं हुए थे। और इन्हे दूसरे देशों से खरीदा गया था। ISI-JUAI यह कम्प्यूटर भारत में विकसित किया गया पहला कम्प्यूटर था। ISI-JUAI यह कंप्यूटर का विकास सन् 1966 में दो संस्थाओं भारतीय सांख्यिकी संस्थान तथा जावदपुर यूनिवर्सिटी द्वारा किया गया था। जिस कारण से इसे ISI-JU नाम दिया गया। HEC-2M तथा URAL दोनों ही वैक्यूम ट्यूब युक्त कम्प्यूटर थे, और ISI-JU एक ट्रॉजिस्टर युक्त कम्प्यूटर था। इस कम्प्यूटर का विकास भारतीय कम्प्यूटर तकनीक के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण था। यह कम्प्यूटर व्यावसायिक कम्प्यूटिंग आवश्यकताओं को पूर्ण नहीं करता था।
भारत में कम्प्यूटिंग विकास में सबसे महत्त्वपूर्ण चरण आया 90 के दशक में, जब पुणे में स्थित प्रगतिशील संगणन विकास केन्द्र में भारत का प्रथम सुपरकम्प्यूटर 'परम-8000' का विकास किया गया। परम शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है। PARAM का अर्थ है Parallel Machine जो कि आज सुपरकम्प्यूटर्स की एक श्रृंखला है। परम का प्रयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।
जैसे: बायोइन्फॉर्मेटिक्स के क्षेत्र में
मौसम विज्ञान के क्षेत्र में
रसायन शास्त्र के क्षेत्र में आदि।
भारत में कई हजारों घरों एवं कार्यालयों में पर्सनल कंप्यूटर के आ जाने के कारण कंप्यूटर तकनीक अपने पैर पसार रही है परंतु इन सभी एनालॉग मेनफ्रेम तथा सुपर कंप्यूटर्स ने भारत को एक विकासशील देश बनाने में अपना मुख्य योगदान प्रदान किया है।
कम्प्यूटरों के प्रकार (Types of Computers)
कम्प्यूटर को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में बाटा गया है।
1. कार्यप्रणाली (Mechanism)
2. उद्देश्य (Purpose)
3. आकार (Size)
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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