परीक्षापयोगी प्रश्न (उत्तर सहित) पाठ 2 आत्मविश्वास कक्षा 8 विषय - हिन्दी | chepter two Self-confidence Hindi 8th kanhiyyalal mishr prabhakar
प्रश्न (1) संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
"हतोत्साहियों, निराशावादियों, डरपोकों और सदा असफलता का ही मर्सिया पढ़ने वालों के सम्पर्क से दूर रहो।" नीति का वचन है कि जहाँ अपनी,अपने कुल की और अपने देश की निन्दा हो और उसका मुँह तोड़ उत्तर देना सम्भव न हो, तो वहाँ से उठ जाना चाहिए। क्यों ? क्योंकि इसमें आत्मगौरव और आत्मविश्वास की भावना खण्डित होने का भय रहता है।
सन्दर्भ— प्रस्तुत पद हमारी भाषा-भारती के पाठ्य-पुस्तक के पाठ 2 'आत्मविश्वास' से लिया गया है। इसके रचयिता कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी हैं।
प्रसंग— लेखक सलाह देते है कि हमें ऐसे लोगों की संगति से बचना चाहिए जो उत्साह से हीन और सब तरह से निराशावादी हैं।
व्याख्या— हमें ऐसे लोगों की संगति नहीं करनी चाहिए जो सभी प्रकार से उत्साह से हीन हैं और सभी प्रकार से आशा छोड़ चुके हैं। साथ ही ऐसे लोगों से भी दूर रहना चाहिए जो भयभीत हैं तथा हमेशा असफल होने के अपने शोक गीत का गायन करते रहते हैं अर्थात् बार-बार अपनी असफलताओं का ही बात करते रहते हैं। यह नीतिगत बात है कि हमें वहाँ से चले जाना चाहिए जहाँ पर हमारी खुद की,अपने वंश की अथवा अपने राष्ट्र की बुराई की जा रही हो तथा उनके द्वारा कहे जाने वाली किसी भी बात का तथा पूछे गये प्रश्न का उत्तर हम नहीं देना चाहते हैं। इसका कारण यह है कि ऐसा करने से (इसका उत्तर देने से) तो हमारे खुद के बड़प्पन तथा खुद पर किये गये भरोसे की भावना समाप्त हो जाने का डर पैदा हो जाता है।
प्रश्र (2) लघु उत्तरीय प्रश्न लिखिए।
(क) श्री कृष्ण जी ने महाभारत में सर्वोत्तम काम क्या किया?
उत्तर— महाभारत में श्री कृष्ण जी ने न्याय के साथ पाण्डव पक्ष का सहयोग करते हुए निर्वासित पाण्डवों को उनका अधिकार प्राप्त करवाया। एवं समस्त पाण्डवों मे आत्मविश्वास पैदा किया।
प्रश्र (3) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न लिखिए।
(क) लेखक कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर ने 'हेलन केलर' का उदाहरण देकर क्या समझाना चाहा है?
उत्तर— लेखक ने हमें यह समझना चाहा है कि, हेलन केलर एक प्रसिद्ध और उच्च कोटि की विचार धारा रखतीं थीं। हेलन केलर ने अपनी एक सूक्ति में कहा था कि जब हमें सफलता मिलती है तो उससे हमें खुशी मिलती है, तथा लक्ष्य प्राप्ति में असफल होना निश्चय ही खुशी के द्वार बन्द होने के समान है। हम उस सफलता के नहीं मिलने पर निराश और हतोत्साहित हो जाते हैं तथा उस निराशा की दशा में हम उत्साह से रहित हो जाते हैं। स्वयंशक्ति और लक्ष्य प्राप्ति की सामर्थ्य से अपने विश्वास को खो बैठते हैं। तथा यह होना चाहिए कि उद्देश्य प्राप्त करने हेतु अपने अन्दर की शक्ति को विकसित करना चाहिए और उसके प्रति मजबूत श्रद्धा और विश्वास रखना चाहिए। एक बार असफल होने से निराश नहीं होना चाहिए। और सफलता मिलने तक अपने प्रयास (कोशिश) को चालू रखने चाहिए।
प्रश्न (4) निम्न शब्दों के मानक शब्द लिखिए—
विजिटिंग कार्ड, मर्सिया
उत्तर — विजिटिंग कार्ड — पहचान पत्र या जिस कार्ड में स्वयं का परिचय रहता है
मर्सिया — शोक-गीत।
प्रश्र (5) निम्न शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय और उपसर्ग पहचान कर अलग कीजिए—
दुर्भाग्य, कायरता, अभागा।
उत्तर— दुर्भाग्य = दुर (उपसर्ग) + भाग्य
कायरता = कायर + ता (प्रत्यय)
अभागा = अ (उपसर्ग) + भागा
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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