हमारा संविधान | our constitution.
संविधान
देश के शासन संचालन हेतु संकलित एवं निर्मित नियमों को संविधान कहते हैं। संविधान नियमों/कानूनों का ऐसा दस्तावेज है, जो सरकार की संरचना और संचालन को निर्धारित एवं नियमित करता है। राष्ट्रीय आंदोलन के आदर्शों के अनुकूल ही भारतीय संविधान में लोकतंत्रात्मक मूल्यों को समाहित किया गया है। ये मूल्य न्यायपूर्ण व्यवस्था एवं समाज की स्थापना करते हैं।
संविधान सभा
भारत में लोकतंत्रात्मक एवं न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिए दिसम्बर 1946 में संविधान निर्माण सभा का गठन हुआ। इस संविधान सभा के सदस्यों में प्रमुख रूप से डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, पं. जवाहरलाल । नेहरू, आचार्य कृपलानी खान अब्दुल गफ्फार खान, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, टी. टी. कृष्णामाचारी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, गोविन्द वल्लभ पंत, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन थे। मध्यप्रदेश से डॉ हरीसिंह गौर, सेठ गोविन्ददास, हरिविष्णु कामथ भी संविधान सभा के सदस्यों में सम्मिलित थे। संविधान निर्माण सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एवं संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे। संविधान निर्मात्री सभा ने 26 नवम्बर 1949 को स्वतंत्र भारत के संविधान को स्वीकार किया तथा इस संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। हम तब से 26 जनवरी के दिन को प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
1. 31 दिसम्बर 1929 की अर्द्धरात्रि को लाहौर में रावी नदी के तट पर काँग्रेस के वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर काँग्रेस अध्यक्ष पं. जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारत के लिए "पूर्ण स्वतंत्रता का प्रस्ताव पारित किया गया।
2. इसके समर्थन में 26 जनवरी 1930 को प्रभात फेरियाँ निकालने, सभाएँ करने और स्वतंत्रता प्राप्ति का संकल्प करने का आह्वान किया। तब से आजादी तक प्रतिवर्ष 26 जनवरी के दिन पूर्ण स्वराज्य का संकल्प लिया जाने लगा ।
3. इसी दिवस की याद में हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में राष्ट्रीय लक्ष्यों और उद्देश्यों का उल्लेख किया गया है। जिसके मु बिन्दु निम्न है -
1. हम भारत के लोग
हमारे संविधान की शक्ति जनता में निहित है। यह जनता की सहभागिता, इच्छा और निर्णय से निर्मित हुआ है।
2. संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न
भारत एक स्वतंत्र राष्ट्र है, यह शक्तियों से संपन्न एवं सर्वोण्या है। किसी अन्य बाहरी शक्ति का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।
3. समाजवादी
भारतीय संविधान समाजवाद के आदर्श को स्वीकार करता है। आर्थिक, सामाजिक असमानता को दूर करने हेतु राष्ट्र संकल्पित है।
4. पंथ निरपेक्ष
देश के सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता है। किसी धर्म के लिए राज्य पक्षपातपूर्ण कार्य नहीं करेगा और न ही हस्तक्षेप करेगा। सभी धर्म के नागरिकों को बिना भेदभाव के शासकीय सेवाओं में अवसर प्राप्त होंगे।
5. लोकतंत्रात्मक
भारत में जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की लोकतांत्रिक सरकार स्थापित है। प्रतिनिधियों का चुनाव वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है। नागरिकों के मताधिकार की आयु 18 वर्ष तय की गई है। बिना किसी भेदभाव के देश के समस्त नागरिकों को मत देने तथा अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है।
6. गणराज्य
भारत में संविधान द्वारा गणराज्य की स्थापना की गई। राष्ट्र प्रमुख (राष्ट्रपति) वंशानुगत न होकर निर्वाचित होता है। अतः भारत गणराज्य है।
7. सामाजिक न्याय
भारत में धर्म, जाति, लिंग, वर्ग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा।
8. आर्थिक न्याय
भारत में समस्त नागरिकों को आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त है। आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के आर्थिक विकास के लिए सरकार कार्य करती रहेगी। आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों एवं क्षेत्रों के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रोजगार गारंटी योजना इसी ओर बढ़ाया गया कदम है।
9. राजनीतिक न्याय
भारत में लोकतंत्रीय व्यवस्था है। सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के अपने विचार प्रकट करने, मत देने व निर्वाचन प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार है।
10. विचार अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म एवं उपासना की स्वतंत्रता
देश के समस्त नागरिकों को अपने धार्मिक, राजनीतिक विचार रखने एवं उन्हें प्रकट करने की स्वतंत्रता है। सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने, विचार रखने और अपने तरीके से उपासना करने की पूरी स्वतंत्रता है। इस संबंध में राज्य कोई भेदभाव नहीं करेगा।
11. प्रतिष्ठा के अवसर की समता
समस्त नागरिकों को शिक्षा प्राप्त करने, योग्यता के अनुसार शासकीय सेवाओं में चयन हेतु समता के आधार पर अवसर उपलब्ध होगे। कानूनों के समक्ष देश के समस्त नागरिक समान होगे। छुआछूत के भेदभाव को संवैधानिक प्रावधानों द्वारा समाप्त किया गया है।
11. व्यक्ति की गरिमा
देश के समस्त नागरिकों को अपने सर्वांगीण एवं व्यक्तिगत विकास के अवसर प्राप्त हैं।
12. राष्ट्र की एकता और अखण्डता
भारत एक संघ राज्य है। संविधान के अनुसार कोई भी राज्य भारत संघ से अलग नहीं हो सकता। नागरिकों को भारत संघ की इकहरी नागरिकता प्राप्त है। राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की रक्षा हेतु विघटनकारी शक्तियों को समाप्त करने हेतु संविधान पूर्णतः सक्षम है।
13. बंधुत्व
राष्ट्रीय एकता, अखण्डता और विकास हेतु बंधुत्व आवश्यक है। सभी जातियों, धर्मों, भाषाओं, राज्यों एवं वर्गों के बीच भाईचारा बढ़ाने हेतु राज्य प्रतिबद्ध है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना विकास का प्रेरणा स्त्रोत एवं सर्वोच्च आदर्शों का दस्तावेज है।
भारतीय संविधान की विशेषताएँ
किसी देश का संविधान उस देश के जीवन का वह मार्ग होता है जिसे वह अपने लिये चुनता है। उस देश की आवश्यकताओं के अनुकूल संविधान होता है तथा उसकी कुछ विशेषताएँ होती हैं। भारत के संविधान की विशेषताएं निम्नांकित है।
1. लिखित एवं निर्मित संविधान
कुछ ऐसे देश हैं, जिनका संविधान लिखित नहीं है। रूप इंग्लैण्ड ऐसा ही देश है, जो संविधान अलिखित है भारत का संविधान लिखित संविधान है। इसका निर्माण संविधान सभा द्वारा हुआ है। अतः यह लिखित एवं निर्मित संविधान है।
2. विस्तृत एवं व्यापक संविधान
हमारा संविधान विश्व के अन्य देशों के संविधानों की तुलना में बहुत विस्तृत एवं व्यापक है। भारत में अनेक जातियों, धर्मों, भाषाओं के बोलने वाले लोग निवास करते हैं। उनकी अपनी संस्कृतियाँ है। अनेकता में एकता की भावना को सुदद्द करने के लिए संविधान में विस्तारपूर्वक उल्लेख है।
3. कठोर एवं लचीलेपन का समन्द
भारतीय संविधान में मध्यम मार्ग को अपनाया गया है। व्यावहारिक दृष्टि से भारतीय संविधान में संशोधन की पद्धति जटिल नहीं है। कुछ विषयों में संसद के साधारण बहुमत से ही संविधान संशोधित हो जाता है तथा कुछ विषयों में भारतीय संविधान कठोर संविधानों की श्रेणी में आता है, क्योंकि भारतीय संविधान की अधिकांश धाराओं को संशोधित करने के लिए संसद के सभी सदस्यों के बहुमत के अतिरिक्त उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत की भी आवश्यकता होती है।
4. मौलिक अधिकारी एवं कर्ता समावेश
भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को कुछ मूल अधिकार दिए गए हैं, इन अधिकारों की रक्षा का दायित्व सर्वोच्च न्यायालय का है। इसी प्रकार नागरिकों के लिए कुछ कर्त्तव्यों का उल्लेख भी संविधान में किया गया है।
5. राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख
भारत में लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्वों का उल्लेख है। भारत में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय व्यवस्था की स्थापना के लिए सरकारें प्रयासरत है। वंचित वर्गों (अनुसूचित जातियों, जनजातियों एवं पिछड़े वर्ग) के कल्याण एवं विकास हेतु शासन संकल्पित है।
6. संघात्मक शासन व्यवस्था
भारत के संविधान में संघात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया गया है। संघात्मक शासन व्यवस्था होने के कारण संघ (केन्द्र) और राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन है। केन्द्र एवं राज्य की अलग-अलग सरकारें हैं।
7. लोकतंत्रात्मक गणराज्य
भारत लोकतांत्रिक राज्य है, क्योंकि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के अन्तर्गत सरकार का पूरा अधिकार जनता में निहित रहता है। ऐसी शासन व्यवस्था के अन्तर्गत सरकार की स्थापना जनता द्वारा तथा जनता के लिए की जाती है।
8. संसदीय प्रणाली
भारत में संसदीय शासन प्रणाली है। इसमें शासन की वास्तविक शक्तियाँ संसद में निहित हैं। शासन की शक्तियों का प्रयोग मंत्रि-परिषद् करती है। मंत्रि-परिषद् संसद के प्रति उत्तरदायी है।
9. पेच निरपेक्ष
पंथ निरपेक्षता भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता है। पथ निरपेक्ष का तात्पर्य है कि राज्य की दृष्टि से सभी धर्म समान हैं और राज्य के द्वारा विभिन्न धर्मावलम्बियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
10. सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न गणराज्य
सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न का अर्थ यह है कि आन्तरिक या बाहरी दृष्टि से भारत पर किसी विदेशी सत्ता का अधिकार नहीं है। भारत अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी इच्छानुसार आचरण कर सकता है। भारत लोकतंत्रात्मक राज्य होने के साथ-साथ एक गणराज्य है।
11. स्वतंत्र एवं शक्तिशाली न्यायपालिका
भारत की न्यायपालिका पूर्णतः निष्पक्ष एवं स्वतंत्र है। ये भारतीय नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षक है। संविधान की व्याख्या का अधिकार भारत के सर्वोच्च न्यायालय को है। विधानमंडल एवं कार्यपालिका उसके कार्यों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
अन्य विशेषताएँ :
1. संकटकाल की स्थिति में विशेष उपबंध।
2. वंचित वर्गों (अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग) हेतु विशेष व्यवस्था ।
3. विश्व शांति का समर्थन।
I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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