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लहरों और धाराओं में अन्तर एवं प्रभाव | Difference and effect between waves and currents.

लहरें

वायु के प्रभाव से समुद्री सतह का जल ऊपर-नीचे होता है। इसे सहर कहते है। लहरे एक दूसरी को धकेलती हुई आगे बहती सी दिखाई देती है, परन्तु वे सहरे अपनी ही जगह पर ऊपर नीचे होती रहती हैं। केवल तटों पर आगे बढकर समाप्त हो जाती हैं। किसी भी लहर के दो मुख्य भाग होते हैं। ऊपर उठे भाग को 'श्रृंग' तथा निचले भाग को 'गर्ल' कहते हैं। लहरें उत्पन्न होने के निम्नलिखित कारण हैं।
• जब हवा चलती है, तो उसकी रगड़ से समुद्री सतह के जल को धक्का लगता है जिससे उसमें हलचल पैदा होती है और जल ऊपर-नीचे होने लगता है। हवा जितनी प्रचण्ड होगी। लहरें उतनी ही बड़ी होगी।
• कभी-कभी भूकम्प के झटकों, ज्वालामुखियों एवं भू-गर्भीय हलचलों के कारण भी अचानक बड़ी-बड़ी लहरे उत्पन्न हो जाती है, ये अत्यन्त विनाशकारी होती है। ऐसी लहरों को सुनामी लहरें कहते हैं। 'सुनामी' जापानी भाषा का शब्द है।
दिसम्बर 2001 में हिन्द महासागर में भूगर्भीय हलचल से उत्पन्न सुनामी लहरों के विनाशकारी प्रभाव को हम भूलें नहीं है।

धाराओं

समुद्रों में नियमित रूप से किसी निश्चित दिशा में क्षैतिज रूप से प्रवाहित होने वाली विशाल जलराशि को धाराएँ कहते हैं। सागरीय गतियों में धाराएँ सबसे अधिक शक्तिशाली होती है। इनके द्वारा सागरीय जल हजारों किलोमीटर तक बहा लिया जाता है।
• धाओं का प्रभाव जलवायु, आवागमन, मत्स्य उद्योग और वर्षा पर पड़ता है गर्म जल धारा अपने तटवर्ती स्थानों का तापमान बढ़ा देती है तथा ठंडी धाराएँ निकटवर्ती क्षेत्रों का सामान्य तापमान कम कर देती है। जैसे- उत्तरी अटलाण्टिक प्रवाह उत्तर-पश्चिम यूरोप के तट को गर्म तथा लेब्रेडोर ठंडी धारा उत्तर-पूर्वी कनाड़ा का तटीय क्षेत्र ठण्डा कर देती है।
• समुद्रों में जहाँ गर्म और ठंडी धाराएँ मिलती हैं, तो वहाँ घना कोहरा उत्पन्न हो जाता है। जैसे न्यूफाउण्डलैण्ड के निकट लेब्रेडोर की ठण्डी व गल्फस्ट्रीम की गर्म जलधारा मिलने से घना कोहरा छा जाता है।
• गर्म जलधारा के कारण ऊंचे अक्षांशों में स्थित बन्दरगाह वर्ष भर खुले रहते हैं, जैसे नार्वे और जापान के बन्दरगाह वर्ष भर सक्रिय रहते हैं।
• गर्म धाराओं के ऊपर से बहने वाली हवाएँ गर्म होकर आर्द्रता ग्रहण कर लेती हैं और निकटवर्ती क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा कर देती है।

लहरों और धाराओं में अन्तर

लहरें

• लहरों में समुद्री जल एक ही जगह पर ऊपर-नीचे होता रहता है।
• लहरों के चलने की दिशा एवं गति निश्चित नहीं रहती है।
• लहरें वायु के थपेड़ों से उत्पन्न होती हैं।
• भूकम्प और ज्वालामुखी के कारण उत्पन्न विशालकाय लहरें कई बार विनाशकारी हो जाती हैं, जैसे सुनामी लहरें ।
• लहरें जल की ऊपरी सतह पर दिखाई देती हैं।

धाराएँ

• धाराओं में जल हजारों किलोमीटर तक प्रवाहित होता है।
• धाराओं की दिशा और गति निश्चित रहती है।
• धाराएँ पृथ्वी के घूर्णन, जल के तापमान की भिन्नता आदि कारणों से उत्पन्न होती हैं।
• धाराएँ कभी विनाशकारी नहीं होती सदैव शांत बहती हैं।
• धाराएँ स्पष्ट रूप से चलती दिखाई देती हैं।

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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