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भारत के खनिज, शक्ति के साधन और उद्योग

प्रकृति ने हमें संसाधन निःशुल्क प्रदान किये हैं, जिनका उपयोग हम दैनिक जीवन में करते हैं। मानव ने खनिजों के अनेक उपयोग जान लिए है। इनसे हम तरह-तरह की उपयोगी वस्तुएँ बनाते है। देश के औद्योगिक विकास में इनका महत्वपूर्ण हाथ है। खनिज पदार्थ हमारी पृथ्वी के गर्भ (अन्दर) में बहुत गहराई तक छिपे हुए तथा समुद्र के अधः स्तल के नीचे भी दबे हुए हैं। इस वैज्ञानिक युग में इन खनिज पदार्थों का महत्व बढ़ता जा रहा है। हमारा देश खनिज पदार्थों में काफी सम्पन्न है। यहां लोहा, मैंगनीज, अभ्रक, तांबा, सीसा, जस्ता बाक्साईट, सोना आदि खनिज पदार्थ अधिक मात्रा में पाये जाते है। इनके अलावा शक्ति के साधन है, जैसे - कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि।

खनिज पदार्थ तक पहुंचने के लिए भूपर्पटी (भूमि) में एक बड़ा और गहरा छेद किया जाता है तथा सुरंगे बनाकर खनिज निकाले जाते हैं। ऐसी खान को खनिकूप या शेफ्ट माइन कहते हैं।
भूपर्पटी (भूमि) में कुछ ऐसे कुएं खोदे जाते हैं जिनसे खनिज तेल निकाला जाता है। इन्हें तेल कूप कहते हैं। तेल कूप खोदने और खनिज तेल बाहर ले जाने की प्रक्रिया बेधन या ड्रिलिंग कहलाती है।

प्रमुख खनिज

लोहा

हमारे देश मे उत्तम कोटि का लोहा बड़े पैमाने पर निकाला जाता है। इस लोहे की अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अत्यधिक मांग है। लोहा हमारे देश में झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र, कर्नाट और राजस्थान में पाया जाता है। आधे से अधिक लोहे के भंडार बिहार के सिंह भूमि जिले और उस के निकटवर्ती क्योंहार और मयूरभंज जिलों में निकाला जाता है। लोहे से इस्पात, रेल पटरियों सरिये, रेल के स्लीपर, कई प्रकार की मशीने कलपुर्जे वर्तन आदि बनाये जाते हैं इमारतें, पुल आदि में भी लोग काम में आता है। मध्यप्रदेश में लोग मुख्य रूप से कटनी- जबलपुर और नरसिंहपुर जिले में मिलता है।

मैगनीज

मैगनीज का औद्योगिक विकास में महत्वपूर्ण स्थान है। यह भारत में उड़ीसा में क्योंझर मदूरभंज कर्नाटक में चितलदुर्ग, शिमोगा, चिकमंगलूर, धारवाड़ आदि में निकाला जाता है। इसके अतिरिक्त बिहार, आंध्रप्रदेश, राजस्थान और मध्यप्रदेश में मैगनीज निकाला जाता है। मध्यप्रदेश में बालाघाट, छिंदवाडा, सिवनी, जबलपुर एवं झाबुआ में मैगनीज पाया जाता है। मैगनीज का उपयोग ब्लचिंग पाउडर, सीसा को रंगीन बनाने, लोहे में मिलाने में सूखी बैटरी, प्लास्टिक, शीशे के समान चीनी के बर्तन और रासायनिक पदार्थ में होता है।

बाक्साइट

बाक्साइट का उद्योगों के विकास में महत्वपूर्ण स्थान है। यह खनिज बिहार, गुजरात तथा मध्यप्रदेश में प्रमुखता से निकाला जाता है। इनके अतिरिक्त आध्रप्रदेश, महाराष्ट्र में इसका उत्पादन होता है। बाक्साइट का उपयोग एल्यूमीनियम बनाने, चीनी मिट्टी के बर्तन, मिट्टी का तेल (पासलेट) साफ करने, रासायनिक द्रव तैयार करने, सीमेंट तैयार करने वायुयानों और विद्युत तारों के निर्माण में होता है। बाक्साइट मध्यप्रदेश के जबलपुर, बालाघाट, मंडला, कटनी छिंदवाड़ा जिलों में निकाला जाता है।

तांबा

तांबा भारत के बिहार के सिंहभूमि, मध्यप्रदेश के बालाघाट, राजस्थान के झुंझुनू तथा अलवर, आंध्रप्रदेश के गुंटूर, कर्नाटक के चित्रदुर्ग में तांबे का उत्पादन किया जाता है। तांबे का उपयोग बिजली के समान बनाने और घरेलू बर्तन, सिक्के आदि बनाने में होता है।

अभ्रक

अभ्रक का उपयोग कई पदार्थ बनाने में होता है। यह ताप और विद्युत का कुचालक है। अत: इसका उपयोग बिजली की सामग्री बनाने, रंग रोगन, वार्निश आदि में किया जाता है। देश में अधक बिहार, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और केरल में निकाला जाता है। मानचित्र में देखिये। भारत में संसार का 90 प्रतिशत अभ्रक का उत्पादन किया जाता है।

सोना

भारत में सोने की खानें मुख्य रूप से कर्नाटक में रायचूर, हट्टीखान, आंध्रप्रदेश के अनन्तपुर के रामगिर क्षेत्र में है।

चांदी

चांदी का हमारे देश में कर्नाटक के कोलार तथा जबार क्षेत्र में ही उत्पादन होता है। उपर्युक्त खनिजों के अतिरिक्त हमारे देश में सीसा, जस्ता, हीरा प्रेफाइट, क्रोमाईट, यूरेनियम आदि खनिज पदार्थ भी निकाले जाते है।

शक्ति के साधन

जिन संसाधनों से ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, उन्हें शक्ति के साधन कहते है जैसे कोयला ख तेल, प्राकृतिक गैस, जल विद्युत, आण्विक खनिज आदि शक्ति के साधन है। आइये इनके बारे में जाने-

कोयला

औद्योगिक ऊर्जा का प्रमुख साधन होने के साथ कोयला एक कच्चा माल है। लोग तथा इस्पात एवं रसायन उद्योगों के लिए कोयला का उपयोग अनिवार्य है। देश में व्यापारिक शक्ति का 60 प्रतिशत से भी अधिक आवश्यकताएं कोयले से पूरी होती है। कोयले के उत्पादन में संसार में हमारे देश का 5वां स्थान है। हमारे देश में कोयले का उत्पादन पश्चिमी बंगाल के रानीगंज, बर्द्धमान, बांकुरा, पुरलिया, वीरभूमि, दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी में निकाला जाता है। बिहार में झरिया, गिरिडीह, बोकारो, हजारीबाग में तथा मध्यप्रदेश के रीवा, उमरिया, पेचघाटी, सोहागपुर, छिंदवाड़ा आदि जिलों में निकाला जाता है। इनके अतिरिक्त महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश में भी कोयले का उत्पादन किया जाता है।

खनिज तेल और गैस

भारत में तेल का क्षेत्र 10 लाख वर्ग किलोमीटर में है। यह देश का एक तिहाई क्षेत्रफल है। इसके अंतर्गत गंगा और ब्रह्मपुत्र का मैदान, तटीय पट्टियां तथा तट के सहारे फैला और समुद्री जल में डूबा हुआ है। गुजगत के मैदान, थार का मरुस्थल और अण्डमान निकोबार द्वीप समूह क्षेत्र भी आते है। खोज के बाद इन क्षेत्रों में खनिज तेल की उपस्थिति ज्ञात होगी। स्वतंत्रता के पूर्व केरल, असम में ही खनिज तेल निकाला जाता था। वर्तमान में खनिज तेल असम, गुजरात तथा मुम्बई के तटीय समुद्र से निकाला जाता है।
मुम्बई तट से 115 कि.मी. दूर समुद्र में 'मुंबई हाई' के नाम से प्रसिद्ध भारत का सबसे बड़ा तेल क्षेत्र है। समुद्र में तेल की खोज के लिए जापान से 'सागर सम्राट' नाम का जहाज मंगाया गया था।

खनिज तेल क्षेत्रों के साथ ही गैस भंडार भी पाये जाते हैं। लेकिन तेल क्षेत्र से अलग प्राकृतिक गैस के भंडार केवल त्रिपुरा और राजस्थान में खोजे गए हैं। इनके अतिरिक्त महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु आंध्रप्रदेश तथा उड़ीसा के समुद्री किनारों पर गहरे सागर में भी प्राकृतिक गैस के भंडार मिले है। उपर्युक्त शक्ति के साधन के अतिरिक्त हमारे देश में ताप और परमाणुशक्ति से भी ऊर्जा उत्पन्न की जारी है। इनके अतिरिक्त पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा का भी तीव्रगति से उपयोग हो रहा है।

1. भारत खनिज की दृष्टि से सम्पन्न देश है।
2. यहाँ पर लोहा, मैगनीज, बाक्साईट, अभ्रक, तांबा, आदि खनिज प्रचुर मात्रा में निकाले जाते हैं।
3. संसार का 90 प्रतिशत अभक भारत में निकाला जाता है।
4. जिन संसाधनों से ऊर्जा उत्पन्न होती उसे शक्ति के साधन कहते है जैसे खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, जलविद्युत, परमाणु ऊर्जा आदि।

भारत में चार परमाणु बिजली घर काम कर रहे हैं। महाराष्ट्र गुजरात की सीमा पर तारापुर, राजस्थान में कोटा के पास रावतभाटा में, तमिलनाडु के कलपपक्कम में तथा पश्चिमी उत्तरप्रदेश में गंगा के तट पर नरोरा में परमाणु बिजली घर है। शक्ति के साधनों की कमी वाले देश में प्राकृतिक गैस की उपलब्धि एक अनमोल उपहार है। प्राकृतिक गैस पर आधारित बिजली घर बनाने में अपेक्षाकृत कम समय लगता है। गैस पाइप लाइनों के द्वारा गैस का परिवहन सरल हो गया है। अब मुम्बई और गुजरात के गैस क्षेत्रों से गैस मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश तक भेजी जा रही है। यह हजीरा- विजयपुर-जगदीशपुर गैस लाइन के नाम से जानी जाती है।

भारत के प्रमुख उद्योग

भारत में पर्याप्त मात्रा में विभिन्न प्रकार के संसाधन पाये जाते हैं। इस कारण देश में उद्योगों के विकास की अनेक संभावनाएँ हैं। कच्चे माल के साथ ऊर्जा के साधनों का होना, सड़कों व रेलमार्गों की सुविधा, तकनीकी शिक्षा, प्राप्त अनुभवी कारीगर, बाजार की उपलब्धता, अनुकूल शासकीय नीति आदि आधारभूत सुविधाओं के लगातार वृद्धि ने भारत में उद्योगों को बढ़ावा दिया है। परंतु इन सुविधाओं का सभी जगह समान वितरण न होने के कारण भारत में उद्योगों का वितरण असमान है।

कृषि आधारित उद्योग

देश में कपास, गन्ना, जूट, तिलहन, तंबाकू, चाय, काफी, रबर आदि का उद्योगों में कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है। सूती वस्त्रोद्योग, शक्कर, जूट, तेल की मिलें, वनस्पति तेल के कारखाने आदि कृषि आधारित उद्योग है। इनमें से सूती वस्त्रोद्योग व शक्कर उद्योग को आइये हम जाने-

सूती वस्त्रोद्योग

कपास, जूट, ऊन, रेशम आदि के रेशों से वस्त्र बनाया जाता है। कपास से बीज निकालना, धुनाई, सूत कसाई, कपड़ा बुनाई, रंगाई आदि सभी प्रक्रियाओं का समावेश सूती वस्त्रोद्योग के अंतर्गत होता है। सूती वस्त्रोद्योग में बहुत बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है। भारत में महाराष्ट्र, गुजरात तथा तमिलनाडु में यह उद्योग मुख्य रूप से विकसित हुआ है। मुंबई तथा अहमदाबाद सूती वस्त्रोद्योग के प्रमुख केंद्र है।

शक्कर उद्योग

शक्कर उद्योग का विकास मुख्यतः गन्ने की उपलब्धता पर आधारित है। पहले शक्कर कारखानों में लगने वाली मशीनों का विदेशों से आयात करना पड़ता था, जिससे अधिक पूँजी की आवश्यकता पड़ती थी। लेकिन अब देश में ही मशीने बनाई जाती है। परिणामस्वरूप देश में शक्कर के कारखानों का तेजी से विकास हो रहा है। भारत में शक्कर के सबसे अधिक कारखाने उत्तरप्रदेश में है। इसके बाद महाराष्ट्र का स्थान है।

खनिज पर आधारित उद्योग

लोह इस्पात उद्योग

लोह इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार स्तम्भ होता है। सभी प्रकार की मशीनें, यातायात के साधन, खेती के औजार, गृह निर्माण व्यवसाय आदि सभी लोह इस्पात पर निर्भर है। लोह खनिज को शुद्ध कर उससे इस्पात बनाने के लिए लोह खनिज, कोक, चूने का पत्थर, मैगनीज, पानी आदि की आवश्यकता होती है। इस कारण इस उद्योग की स्थापना बहुधा कोयला क्षेत्रों में हुई है। भारत में पहला आधुनिक लौह इस्पात कारखाना पश्चिम बंगाल में कुल्टी में स्थापित हुआ था, परंतु बाद में बड़े पैमाने पर इस्पात उत्पादन करने वाला कारखाना जमशेदपुर में स्थापित हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकारी क्षेत्र में अनेक स्थानों पर यह उद्योग स्थापित किया गया। छत्तीसगढ़ में भिलाई, पश्चिम बंगाल में दुर्गापुर, उड़ीसा में राऊरकेला झारखंड में बोकारो, तमिलनाडु में सलेम तथा आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में यह उद्योग स्थापित किया गया है।

सीमेंट उद्योग

सीमेंट निर्माण कार्य उद्योग का प्रमुख तत्व है। सीमेंट उद्योग के लिए चुने का पत्थर, चिकनी मिट्टी, जिप्सम, कोयला आदि कच्चे माल की आवश्यकता होती है। चूने का पत्थर तथा अन्य भारी कच्चे माल के ढोने में ज्यादा खर्च होता है, इसलिए सीमेंट के कारखाने कच्चे माल के क्षेत्र में हो स्थापित किए जाते हैं। भारत में सीमेंट का पहला कारखाना चेन्नई में स्थापित किया गया था। आज देश में तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, झारखंड, राजस्थान, कर्नाटक तथा आंध्रप्रदेश प्रमुख सीमेंट उत्पादक राज्य है।

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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