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हिन्दी कक्षा 8th वार्षिक परीक्षा 2025 ब्लूप्रिंट आधारित अभ्यास मॉडल प्रश्न पत्र | Solved Model Question Paper Hindi

our environment and plantation

बहु-विकल्पीय प्रश्न (प्रश्न 1-5)

प्रश्न 1. चित्र में किसका महत्व दर्शाया गया है?

(A) जीवन बचाओ का
(B) वृक्षारोपण का
(C) प्रदूषण का
(D) कारखानों का

उत्तर― (B) वृक्षारोपण का

प्रश्न 2. पेड़ हमें क्या प्रदान करते हैं?

(A) ऑक्सीजन
(B) लकड़ी
(C) फल-मेवा
(D) ये सभी

उत्तर― (D) ये सभी।

प्रश्न 3. 'अगर एक पेड़ लगायेंगे, तब वे हमारे काम आयेंगे' यह नारा किस विषय पर लिखा गया है?

(A) पेड़ घटाओ अभियान पर
(B) पर्यावरण संरक्षण पर
(C) पेड़ लगाओ अभियान पर
(D) 'ख' एवं 'ग' दोनों पर

उत्तर― (D) 'ख' एवं 'ग' दोनों पर

प्रश्न 4. पर्यावरण को बेहतर किस प्रकार बनाया जा सकता है?

(A) पेड़ घटाकर
(B) पेड़ लगाकर
(C) वाहन चलाकर
(D) सड़क बनाकर

उत्तर― (B) पेड़ लगाकर

प्रश्न 5. चित्र में वृक्षों को अन्य किस नाम से पुकारा गया है?

(A) सोना
(B) मोना
(C) चाँदी
(D) आबादी

उत्तर― (A) सोना

रिक्त स्थानों की पूर्ति (प्रश्न 6-10)

प्रश्न 6. जो मार्गदर्शन करता है, उसे मार्गदर्शक कहते हैं।

प्रश्न 7. चैती चाँद पर्व भगवान झूलेलाल की जयन्ती के रूप में मनाते हैं।

प्रश्न 8. पचमढ़ी में पाण्डव गुफाएँ हैं।

प्रश्न 9. लेखिका शिवानी को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

प्रश्न 10. योग शब्द संस्कृत के युज् धातु से बना है।

अति लघुत्तरीय प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न 11: पाठ में आए सूर्यग्रहण के उल्लेख के स्थान पर दूसरा उदाहरण किस समकक्ष भौगोलिक घटना का हो सकता है?
उत्तर: पाठ में आए सूर्यग्रहण के उल्लेख के स्थान पर दूसरा उदाहरण चन्द्रग्रहण की भौगोलिक घटना का हो सकता है।

प्रश्न 12: महर्षि परशुराम में कौन-कौन से गुण थे?
उत्तर: महर्षि परशुराम सदैव अपने गुरुजनों और बड़ों का सम्मान करते थे। माता-पिता की आज्ञा का पालन करते थे तथा सदैव बड़ों का सम्मान करते थे।

प्रश्न 13: 'खंदक खाँड्यों' सामासिक पद में कौन-सा समास हैं?
उत्तर: 'खंदक खाँइयों' सामासिक पद में द्वंद्व समास है।

प्रश्न 14: कोयल सबको अच्छी क्यों लगती है?
उत्तर: मीठा बोलने के कारण कोयल सबको अच्छी लगती है।

प्रश्न 15: हमने संसार को कौन-सा सन्देश दिया है?
उत्तर: हमने संसार को शान्ति का सन्देश दिया है।

प्रश्न 16: 'पधिक से' कविता में 'पथिक' शब्द से कवि का आशय क्या है?
उत्तर: 'पथिक से' कविता में 'पथिक' शब्द से कवि का आशय जीवन-पथ से है।

लघुत्तरीय प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न 17: 'अपराजिता' पाठ की लेखिका ने लड़की को देवांगना क्यों कहा है?
उत्तर: 'अपराजिता' पाठ की लेखिका ने लड़की को देवांगना इसलिए कहा है कि अपंग होते हुए भी लड़की धैर्य से अपने काम स्वयं करने लगी थी। लेखिका ने उसके विषय में लिखा है कि "नियति के प्रत्येक कठोर आघात को जिस अमानवीय धैर्य एवं साहस से झेलती वह बित्तेभर की लड़की मुझे किसी देवांगना से कम नहीं लगी।"

प्रश्न 18: रैदास की भक्ति किस भाव की है? उदाहरण देकर लिखिए।
उत्तर: रैदास की भक्ति दास भाव की है। कवि रैदास ने इस विषय में लिखा है कि 'प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करे रैदासा' अर्थात् हे प्रभु! मैं आपका दास हूँ और तुम मेरे स्वामी हो। अतः मैं दास भाव की भक्ति करता हूँ।

प्रश्न 19: अंग्रेजों ने मुण्डा जनजाति के संघर्ष को कैसे दबाना चाहा?
उत्तर: अंग्रेज शासन के विरुद्ध आवाज उठाने वाले बिरसा मुण्डा को अंग्रेज सरकार ने पकड़ने के लिए एक बड़ा इनाम घोषित किया। उस इनाम के लालच में कुछ लोगों ने मिलकर सोते हुए बिरसा को जाकर पकड़ लिया तथा डिप्टी कमिश्नर को सौंप दिया। इस प्रकार बिरसा मुण्डा का लक्ष्य तो अधूरा रह गया परन्तु उन्होंने समाज में स्वाधीनता-चेतना की जो ज्योति जगा दी थी वह ज्योति निरंतर जलती रही।

प्रश्न 20: दोहा एवं सोरठा में क्या अंतर है? उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर: दोहा छंद के प्रथम एवं तृतीय चरण में 13-13 मात्राएँ तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 11-11 मात्राएँ होती हैं। जबकि सोरठा के प्रथम एवं तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं। ये दोनों एक-दूसरे के विपरीत होते हैं।

प्रश्न 21: कर्णपीड़ासन के प्रमुख लाभों को लिखिए।
उत्तर: (i) इस आसन के निरन्तर अभ्यास करने से मस्तिष्क, कान, नाक, गला, नेत्र आदि सम्बन्धी विकार नहीं होते। ये सारे अंग स्वस्थ होते हैं।
(ii) मोटापा, श्वास रोग, दमा, कब्ज, रक्तदोष आदि दूर होते हैं।
(iii) हृदय एवं फेफड़े पुष्ट होते हैं।
(iv) मेरुदण्ड लचीला व पुष्ट होता है।
(v) रक्त का प्रवाह सिर के भाग में तीव्र होने से मानसिक शक्ति बढ़ती है।

प्रश्न 22: हिंदी की किन विशेषताओं के कारण गाँधीजी उसे राष्ट्रभाषा होने के योग्य मानते थे?
उत्तर: गाँधीजी निम्नलिखित विशेषताओं के कारण हिंदी को राष्ट्र भाषा के योग्य मानते थे-
(1) हिंदी भाषा बोलने एवं प्रयोग करने में सरल एवं वैज्ञानिक है।
(2) भारतवर्ष की अधिकांश जनता हिंदी को पढ़, लिख एवं बोल सकती है।
(3) हिंदी का साहित्य समृद्ध एवं ज्ञान महिमा से मण्डित है।
(4) हिंदी बोलचाल की आम भाषा है।
(5) इसमें धार्मिक, राजनैतिक एवं सामाजिक व्यवहारों का स्पष्ट उल्लेख है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 23: निम्नलिखित पंक्तियों का संदर्भ सहित भावार्थ लिखिए -

जब कठिन कर्म पगडंडी पर
राही का मन उन्मय होगा
जब सपने सब मिट जाएँगे,
कर्त्तव्य मार्ग सम्मुख होगा।
तब अपनी प्रथम विफलता में
पथ भूल न जाना पथिक कहीं॥

संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'भाषा-भारती' के पाठ 'पथिक से' से अवतरित है। इसके रचयिता डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' हैं।

प्रसंग: कवि सलाह देता है कि कर्म के मार्ग पर चलते रहने से कल्पनाएँ अपने आप मिट जाती हैं और साकार होने लगती हैं।

भावार्थ: अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होने में पथिक के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती ही हैं। राही कई बार इनमें घिरकर उदास हो उठता है। जब उसकी कल्पनाएँ मात्र कल्पनाएँ लगने लगती हैं, तब उसके सामने केवल कर्त्तव्य मार्ग ही होता है। यदि किसी कारण से पहली बार उसे असफलता मिलती है तो भी उस कर्त्तव्य पथ पर आगे बढ़ने वाले राहगीर को अपना मार्ग नहीं भूलना चाहिए। वह मार्ग से भटक न जाए, अर्थात् अपने कर्तव्य को पूरा करने में जुटा रहना चाहिए।

प्रश्न 24: "सुख का एक द्वार बन्द होने पर तुरन्त दूसरा द्वार खुल जाता है, लेकिन कई बार बन्द द्वार की ओर इतनी तल्लीनता से ताकते रहते हैं कि हमारे लिए जो द्वार खोल दिया गया उसे देख नहीं पाते।" उक्त पंक्तियों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।

संदर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'भाषा-भारती' के 'आत्मविश्वास' नामक पाठ से अवतरित है। इसके लेखक कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' हैं।

प्रसंग: प्रस्तुत सूक्ति में बताया गया है कि हम अपनी निराशावादी भावना के कारण अपनी क्षमताओं में विश्वास खो बैठते हैं।

व्याख्या: हेलेन केलर की इस सूक्ति का तात्पर्य यह है कि जब सुख देने वाली सफलता हमें एक ही प्रयास में प्राप्त नहीं होती, तो हमारा यह कर्त्तव्य हो जाता है कि हम दुबारा भी अपने प्रयास को चालू रखें।
परन्तु असफलता के प्रभाव से हम इतने अधिक प्रभावित हो जाते हैं कि एकाग्रचित होकर उस विफलता से मानसिक भाव क्षेत्र में भी निराश हो जाते हैं। हमारा उत्साह नष्ट हो जाता है। परन्तु यदि हम अपने ध्येय के प्रति समर्पित रहते हुए अपनी शक्तियों पर विश्वास स्थिर रूप से बनाए रखें, तो हमें सफलता अवश्य मिल जाएगी।
अपने उद्देश्य और अपनी क्षमताओं के प्रति दृढ़ श्रद्धा (विश्वास) की कमी के कारण हमें विफलताओं का सामना करना पड़ता है और सफलता हमसे दूर बनी रहती है।

प्रश्न 25. अपनी छोटी बहन पावनी को एक पत्र लिखिए, जिसमें स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की सलाह दी गई हो।

पत्र - स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने की सलाह

66, बाजार चौक,
मेहरा पिपरिया,
जिला - सिवनी।
दिनांक 24-2-2025

प्रिय बहन पावनी,

शुभाशीष।

लम्बे समय से तुमने अपनी कुशलता का पत्र नहीं भेजा है। तुम हॉस्टल में अपनी सहेलियों और सहपाठी छात्राओं के साथ प्रेमपूर्वक रह रही होंगी। पढ़ाई कैसी चल रही है तथा परीक्षा की तारीख कौन-सी निश्चित की गई है? सूचित करना।

आगे मैं यह भी आशा करता हूँ कि तुम अपने स्वास्थ्य की ओर बिल्कुल सावधानी बरत रही होंगी। स्वयं को धूप, गर्मी और धुएँ से बचाती रहना, क्योंकि इनसे बहुत से रोग लग जाते हैं। हॉस्टल में घूमने का सबसे अच्छा स्थान हॉस्टल पार्क है। सुबह और सायं अपनी कक्षा की साथी छात्राओं के साथ अवश्य घूमने जाया करो। घूमना, रस्सी कूदना, बालीबाल, बैडमिन्टन आदि खेल स्वास्थ्य को चुस्त-दुरुस्त बनाये रखते हैं। ताजा और शुद्ध भोजन उचित समय पर ही खाया करो। स्वास्थ्य सही है तो सब कुछ ठीक रहता है। कहा है― "Sound mind in sound body."

शेष कुशल है। माँ और पापा तुम्हें प्यार कहते हैं। अनुज को तुम्हारे आने की प्रतीक्षा है।

तुम्हारा भैया,
काव्य टेम्भरे
पता - बारापत्थर
SP बंगले के सामने,
सिवनी।

प्रश्न 26. निम्नलिखित शीर्षकों में से किसी एक शीर्षक पर निबन्ध लिखिए―
(1) राष्ट्रीय पर्व (स्वतन्त्रता दिवस)
(2) "परिश्रम सफलता का मूल है।"
(3) पुस्तकालय का महत्त्व

(1) स्वतंत्रता दिवस

(1) प्रस्तावना

भारत उत्सव प्रधान देश है। हमारे देश में अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आयोजन होते रहते हैं किन्तु ये त्यौहार प्रान्त, धर्म एवं जाति के दायरे में रहते हैं। जिस त्यौहार की समस्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता है, उसे राष्ट्रीय पर्व कहते हैं। सन् 1947 में हमारे देश ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर आजादी की स्वच्छ हवा में पहली साँस ली थी। कितनी ही कुर्बानियों एवं संघर्षों से मिली आजादी के इस पावन हर्षोल्लास के दिवस पर हमारा देश 15 अगस्त के दिन राष्ट्रीय पर्व का आयोजन करता है।

(2) स्वतन्त्रता दिवस की महत्ता

इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए हमारे देश के न जाने कितने सपूतों ने अंग्रेजों के कोड़े खाए। कारागार में बन्दी रहे तथा न जाने कितने वीर शहीद अपनी माँ की गोद सूनी करके, अपनी पत्नी की माँग का सिन्दूर पोंछकर, अपनी बहन, भाइयों एवं बच्चों को रोता-बिलखता छोड़कर भारतमाता को स्वतन्त्र कराने के लिए हँसते-हँसते फाँसी के तख्ते पर झूल गये। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अहिंसा आन्दोलन चलाकर अंग्रेज सरकार के छक्के छुड़ा दिए। दूसरी ओर गरम दल के सुभाषचन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, शहीद भगतसिंह इत्यादि द्वारा देश को स्वतन्त्रता के लिए किया गया बलिदान अमिट एवं अविस्मरणीय है। 14 अगस्त, 1947 की आधी रात को देश के स्वतन्त्र होने की घोषणा कर दी गयी थी। 15 अगस्त, 1947 को हमारे देश की आजादी का तिरंगा दिल्ली के लाल किले पर फहराया गया था। समस्त देश एवं देशवासी प्रसन्नता से झूम उठे थे।

(3) नाना प्रकार के आयोजन

इस दिन सभी कॉलेज, कार्यालय इत्यादि में छुट्टी रहती है। सभी सरकारी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। बहुत से लोग अपने घरों के ऊपर भी तिरंगा फहरा देते हैं। जुलूस निकलते हैं। सार्वजनिक सभाओं का आयोजन किया जाता है। रात में रोशनी की जाती है। प्रत्येक वर्ष प्रधानमंत्री दिल्ली के लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं। तीनों (जल, थल, नभ) सेनाएँ एवं स्कूली छात्र-छात्राएँ तथा एन.सी.सी. कैडेट अपनी सलामी देते हैं। तत्पश्चात प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम सन्देश देते हैं।

स्कूल, विद्यालय एवं कॉलेजों में ध्वजारोहण के पश्चात प्रधानाचार्य अपने भाषण द्वारा छात्र-छात्राओं के हृदय में देश प्रेम एवं उसके प्रति उनके कर्त्तव्यों का ज्ञान कराते हैं। उसके पश्चात मिठाई बाँटी जाती है। प्रभातफेरी निकाली जाती है। स्कूलों में बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं।

(4) उपसंहार

इस प्रकार शहीदों की शहादत से मिली स्वतन्त्रता का हमें दुरुपयोग न करके उसे सदैव स्थायी बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए। देश में भाई-चारे एवं प्रेम की भावना को विकसित एवं कायम रखते हुए, देश की अखण्डता एवं स्वतन्त्रता को सुरक्षित बनाये रखते हुए, सत्य, प्रेम, अहिंसा की त्रिवेणी प्रवाहित करनी चाहिए जिससे हमारी भारत माता एवं उसके सभी निवासी सुख, प्रेम एवं शान्ति के सागर में अवगाहन करते हुए, देश को विकास के मार्ग पर अग्रसर करते हुए विश्व के समक्ष एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकें।

(2) परिश्रम सफलता का मूल है

(1) प्रस्तावना

श्रम दुनिया का मूल आधार है। प्रकृति का प्रत्येक पदार्थ श्रम में संलग्न है। सूर्य एवं चन्द्रमा समय पर उदित होते हैं तथा अपना कार्य पूरा करके अस्त की ओर अग्रसर होते हैं। चींटी एक लघु प्राणी होते हुए भी अपने कार्य में हर क्षण लगी रहती है। मानव भी आदि युग से परिश्रम करते हुए आज उन्नत अवस्था को प्राप्त हुआ है।

(2) जीवन का आशय

यथार्थ में कर्म-प्रधान जीवन ही सच्चा जीवन है। एक संस्कृत विद्वान के अनुसार कार्य की सिद्धि, इच्छा से न होकर श्रम से होती है। शयन करते हुए सिंह के मुख में हिरन स्वयं प्रवेश नहीं करते हैं।

(3) श्रम से लाभ

श्रम से धन-धान्य, वैभव, सोना-चाँदी सब कुछ प्राप्त हो जाता है। श्रम से साहित्य, सभ्यता एवं संस्कृति का विकास हुआ है। श्रम से आत्म-विश्वास का विकास होता है। श्रमशील मानव कभी निराश नहीं होता। गरीबी हमेशा उससे दूर रहती है। परिश्रमी व्यक्ति सुख, उल्लास एवं शान्ति का अनुभव करता है।

(4) उपसंहार

हमारे पूर्वज श्रम के कारण ही आशातीत उन्नति कर सके। सच पूछा जाय तो धरती का सुहाग श्रम ही है और इसके मेहनती पुत्र ही इसका सौन्दर्य हैं। अतः हमें परिश्रम में जुटकर अपने देश की प्रगति में चार-चाँद लगाने चाहिए।

(3) पुस्तकालय का महत्त्व

(1) प्रस्तावना

मानव स्वभाव से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है। बाल्यावस्था से ही उसमें यह प्रवृत्ति हमें देखने को मिलती है। हर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति इतनी सुदृढ़ नहीं होती कि वह अपनी ज्ञान पिपासा शान्त करने के लिए मनचाही पुस्तक ले सके। पुस्तकालय एक ऐसा स्थान है, जहाँ पहुँचकर व्यक्ति अपनी ज्ञान-पिपासा को विभिन्न पुस्तकें पढ़कर शान्त कर सकता है।

(2) पुस्तकालय से अभिप्राय

जहाँ पुस्तकों को विषयानुसार सुव्यवस्थित ढंग से रखा जाता है, उस स्थान को पुस्तकालय कहते हैं। यहाँ पर पाठकों के पढ़ने के लिए बैठने की अच्छी व्यवस्था होती है।

(3) भारत में पुस्तकालयों की परम्परा

भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि पुस्तकालय भारत में प्राचीन समय से चले आ रहे हैं। तक्षशिला और नालन्दा विश्वविद्यालयों में उच्चस्तरीय पुस्तकालयों की व्यवस्था थी।

(4) पुस्तकालयों के प्रकार

पुस्तकालय अनेक प्रकार के होते हैं। कुछ पुस्तकालय स्कूल व कॉलेजों में होते हैं, जहाँ विद्यार्थियों को उपयोगी पुस्तकें तथा अन्य पुस्तकें भी उपलब्ध होती हैं। दूसरे प्रकार के पुस्तकालय निजी पुस्तकालय होते हैं, जहाँ व्यक्ति अपनी रुचि के अनुकूल पुस्तकें इकट्ठी करता है। तीसरी प्रकार के पुस्तकालय वाचनालय होते हैं, जहाँ छात्रोपयोगी पुस्तकें संग्रहीत रहती हैं। यहाँ विदेशी उच्चस्तरीय पत्र-पत्रिकाएँ भी उपलब्ध रहती हैं। कोई भी व्यक्ति एक निश्चित धनराशि देकर इसका सदस्य बन सकता है एवं इससे लाभ प्राप्त कर सकता है।

(5) पुस्तकालयों से लाभ

मानव मस्तिष्क की भूख मिटाने के लिए पुस्तकें ही भोजन का कार्य करती हैं। पुस्तकें ही हमें इतिहास, धर्म, समाज एवं दर्शन इत्यादि का ज्ञान कराती हैं। पुस्तकालय से हमें अतीत एवं वर्तमान काल का ज्ञान मिलता है तथा भविष्य में उन्नति के शिखर पर पहुँचने का मार्ग भी प्रशस्त होता है। खाली दिमाग शैतान का घर होता है। अतः पुस्तकालय ही सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन का स्थान है।

(6) उपसंहार

पुस्तकालय का देश के विकास एवं समृद्धि में बहुत बड़ा योगदान होता है। इसलिए हमें पुस्तकालय एवं पुस्तकों की तन-मन-धन से रक्षा करनी चाहिए। पुस्तकालय ज्ञान का उद्गम स्रोत हैं।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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ब्लूप्रिंट आधारित अभ्यास प्रश्न पत्र विषय - संस्कृत कक्षा 8 वार्षिक परीक्षा 2025 | Sanskrit Solved Model Queston Paper

इस भाग में ब्लूप्रिंट आधारित अभ्यास प्रश्न पत्र विषय - संस्कृत कक्षा 8 वार्षिक परीक्षा 2025 हेतु दिया गया है।

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