An effort to spread Information about acadamics

Blog / Content Details

विषयवस्तु विवरण



राज्य के नीति-निदेशक तत्त्व | Directive Principles of State Policy

  • BY:
     Pragya patle
  • Posted on:
    April 29, 2022

भारतीय संविधान के भाग-IV के अनुच्छेद 36-51 में राज्य के लिए नीति-निदेशित करने वाले तत्त्वों का उल्लेख किया गया है। ये संकल्पना आयरलैण्ड के संविधान से अभिप्रेरित (Motivated) है।vजिन्हें आयरलैण्ड के सामाजिक सिद्धान्तों के समान न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं बनाया गया है।

1. अनुच्छेद 36 में नीति-निदेशक तत्त्वों की परिभाषा एवं अनुच्छेद 37 में अन्तर्विष्ट तत्त्वों का लागू होना दर्शाया गया है।
2. अनुच्छेद 38 के अनुसार, लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाना तथा भारतीय नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय प्रदान करना भारतीय राज्य का कर्त्तव्य है।
3. अनुच्छेद 39 राज्य का यह कर्त्तव्य है कि वह समान कार्य के लिए समान वेतन प्रदान करे तथा समान न्याय दिलाने के लिए निःशुल्क कानूनी सहायता तथा धन के समान वितरण का प्रावधान करे।
4. अनुच्छेद 40 के अन्तर्गत राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे ग्राम पंचायत की स्थापना करें।
5. अनुच्छेद 41 के अन्तर्गत राज्य का दायित्व है कि वह कुछ दशाओं में नागरिकों को काम, शिक्षा और जन-सहायता पाने का अधिकार सुनिश्चित करे।

6. अनुच्छेद 42 एवं 43 के अन्तर्गत प्रावधान किया गया है कि राज्य कामगारों को निर्वाह मजदूरी, काम की मानवोचित दशाएँ, प्रसूति सहायता प्रदान करे। वह शिष्ट जीवन स्तर तथा अवकाश के पूर्ण उपयोग के सामाजिक अवसर उपलब्ध कराए।
7. अनुच्छेद 44 राज्य से अपेक्षा करता है कि वह सभी नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता का निर्माण करे।
8. अनुच्छेद 45 के अन्तर्गत राज्य को निर्देश दिया गया है कि वह 6 वर्ष तक की आयु के बच्चों को निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराए।
9. अनुच्छेद 46 के अन्तर्गत अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्ग को शिक्षित और आर्थिक अभिवृद्धि करना राज्य का कर्त्तव्य है।
10. अनुच्छेद 47 के अन्तर्गत यह राज्य का दायित्व है कि वह लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने हेतु उनके पोषाहार तथा जन स्वास्थ्य में सुधार करे।

11. अनुच्छेद 48 के अन्तर्गत राज्य का यह दायित्व है कि कृषि और पशुपालन को प्रोत्साहन दे तथा गो-वध का प्रतिषेध करे।
12. अनुच्छेद 48 (क) में पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्द्धन और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा का प्रावधान है।
13. अनुच्छेद 49 के अन्तर्गत राष्ट्रीय महत्त्व के स्मारकों, स्थानों तथा वस्तुओं का संरक्षण करना राज्य का कर्त्तव्य है।
14. अनुच्छेद 50 के अन्तर्गत कार्यपालिका व न्यायपालिका के कार्यक्षेत्र को पृथक् किया गया है।
15. अनुच्छेद 51 के अन्तर्गत राज्य का यह कर्त्तव्य होगा कि वह अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा बनाए रखने का प्रयत्न करे।



आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.

R. F. Tembhre
(Teacher)
pragyaab.com

  • Share on :

Comments

Leave a reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

ज्वालामुखी | Volcano

भूपटल पर वह प्राकृतिक छिद्र अथवा दरार है, जिससे होकर पृथ्वी का पिघला पदार्थ, लावा, राख, जलवाष्प, ठोस पदार्थ तथा अन्य गैसे बाहर निकलती हैं।

Read more

नगरीय संस्थाएँ― नगर पंचायत, नगरपालिका व नगर निगम, इनके कार्य एवं आय के साधन || Urban institutions – Nagar Panchayat, Municipality and Municipal Corporation

नगरों व शहरों की स्थानीय स्वशासी संस्थाएँ नगर पंचायत, नगर पालिका व नगर निगम के नाम से जानी जाती हैं। इन्हें शहरी क्षेत्र की स्थानीय संस्थाएँ भी कहते हैं।

Read more

Follow us

subscribe

Note― अपनी ईमेल id टाइप कर ही सब्सक्राइब करें। बिना ईमेल id टाइप किये सब्सक्राइब नहीं होगा।