
ये हैं महान नारियाँ | भारतीय समाज में नारी का स्थान ऊँचा क्यों है? | Great Women | Why is the position of women high in Indian society?
दुनिया यदि गुलशन है तो नारी उसकी माली है।
झुक जाये तो माॅं शीतला, अड़ जाये तो चण्डी काली है।।
हमारी भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान पुरुष से भी ऊँचा है। हम ईश्वर नाम में देवी का नाम पहले लेते हैं जैसे — श्री राधेकृष्ण, श्री सीताराम, श्री लक्ष्मीनारायण, श्री गौरीशंकर। इस तरह ईश्वर के नाम में भी देवी (नारी) का नाम अग्रणी है। अर्थात नारी शक्ति स्वरूपा है या यूॅं कहें नारी नाम ही शक्ति का पर्याय है।
हमारे धर्मग्रंथों या इतिहास के पन्नों को पलटकर देखें तो नारी शक्ति के दर्शन कई जगह होते हैं। वैदिक काल में हुई थी सती-सावित्री जिसने यमराज के पास जाकर आँख में आँख मिला कर कहा— "मैं तुम्हारे पास से अपने पति को जरूर छुड़ाकर ले जाऊॅंगी।" और सावित्री ने छुड़ा भी लिया था। सती अनुसुईया जी की कथा से कौन अपरिचित है उन्होंने तो त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) को छोटे से बालकों में परिवर्तित कर दिया था। त्रेता युग की बात करे की माता सीता ने एक तिनके के सहारे रावण को अपने पास आने तक न दिया। अपने सतीत्व के बल पर रावण को धमकाया कि "हे रावण! यदि इस तिनके के आगे एक कदम भी बढ़ाया तो जलकर भस्म हो जाएगा।" इसी तरह सत्यभामा जी ने भी श्री कृष्ण के साथ मिलकर के नरकासुर का वध किया। वहीं सुभद्रा अर्जुन की सारथी बनकर युद्ध में जीत दिलाया करती थी।
अपने बुद्धि बल से अनेकानेक अविष्कार करने वाली वैज्ञानिक वैना और धारिणी हुई जिन्होंने अपने समय की उच्च योग्यता धारी साइंटिस्ट कहलाई। किसी भी क्षेत्र की बात करें चाहे बात आध्यात्मिक क्षेत्र की हो या धार्मिक। वैज्ञानिक क्षेत्र की हो या राजनीतिक। शिक्षा के क्षेत्र की हो या चिकित्सा। युद्ध स्थल की हो या अंतरिक्ष की। हर जगह नारियाॅं सर्वोपरि रही है।
दुर्गावती मुगलों के आक्रमण पर स्वयं की हार होती हुई देखकर उन्होंने अपने ही हाथों से अपने शील की रक्षा हेतु स्वाभिमान के साथ मृत्यु का आलिंघन कर लिया। वही चित्तौड़ की रानी पद्मावती के जौहर को कौन नहीं जानता। बच्चे-बच्चे के ओठों पर ये लोकगीत आज भी विद्यमान है।
जाग उठी चित्तौड़ दुर्ग में जौहर की यह भीषण ज्वाला।
हॅंसते हुए चरित्र रक्षा हेतु कूद पड़ी क्षत्रिय बाला॥
भारतीय नारियों के अदम्य साहस की गाथाएँ विश्व प्रसिद्ध हैं। भारतीय नारियों ने अपनी आंतरिक शक्ति और आत्म बल पर सारे कार्य निडरता से साथ किया किये हैं। झाॅंसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता को कौन नहीं जानता।
बुंदेले हरबोलों के मुॅंह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाॅंसी वाली रानी थी।।
अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली नारियों में कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स का नाम तो हम जानते ही हैं। हमारे भारत देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्री मती इंदिरा गाँधी के देश उत्थान में योगदान को कौन नहीं जानता है। ऐसी असंख्य मातृशक्तियाँ जिनका नाम यहाँ वर्णन करना संभव नहीं है जिन्होंने अपनी अमिट छाप मानस पटल पर छोड़ी है।
बात करे हम जागृति कि तो नर हो या नारी दोनों को ही जागरण की आवश्यकता है हमारे अंदर ही वह दैवीय शक्तियाॅं है जिनकी सहायता से असंभव कार्य को संभव किया जा सकता है। ये शक्तियाॅं सुसुप्त अवस्था में हमारे अंदर विद्यमान है, आवश्यकता है उस दैवीय तत्वों के जागरण की। यदि दैवीय तत्व के जागृत होते ही आत्मविश्वास जागृत होता है। आत्मज्ञान और मेडीटेशन द्वारा ही वह दैवीय तत्वों का जागृति सम्भव है। जब तक हम आत्म भाव में स्थित नहीं होंगे तब तक हमारी आन्तरिक शक्तियाँ जागृत नहीं हो पायेंगी।
Bk आस्था दीदी
जिला सिवनी म.प्र.
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आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
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Thank you.
R. F. Tembhre
(Teacher)
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