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Shri Krishna Ashtmi 108 Names of lord Krishna | भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी - भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम जाप हेतु 108 मंत्र

कृष्ण जन्माष्टमी

नाम से ही स्पष्ट है कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण जी का जन्मोत्सव का दिवस होता है। श्री कृष्ण भगवान जी को ईश्वरेश्वर श्री विष्णु जी का अवतार माना जाता है। संसार में पापाचार और अत्याचार बढ़ जाने के कारण एवं राक्षसी प्रवृत्ति के राजा कंस (जो कि श्री कृष्ण केमामा थे) को मारने के लिए धरती पर जन्म लिया। श्रीकृष्ण का इस धरा पर अवतरण भाद्रपद के कृष्णपक्ष में अष्टमी को रात्रि 12 बजे हुआ था। प्रतिवर्ष उनके इस दिवस (श्री कृष्ण जन्माष्टमी) को एक पर्व के के रूप में मनाया जाता है। सारे संसार में इस दिन भगवान कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

भगवान का भी त्याग देखें

हम मनुष्य छोटी-मोटी कठिनाइयों या परेशानियों के आने पर ईश्वर को दोष देते हैं कि मेरे साथ ये मुसीबतें है या परेशानियां क्यों लाई गई हैं? दूसरी ओर नजर दौड़ाएँ तो आप देखेंगे कि भगवान श्री कृष्ण को जन्म देने वाले उनके माता-पिता माता देवकी एवं पिता वासुदेव जी को कितनी यातनाएँ कारागार में सहनी पड़ी थी और भगवान ने भी कारागार में ही जन्म लिया था जबकि ईश्वर चाहते तो एक क्षण में सब कुछ बदल सकते हैं। किंतु प्राणीमात्र के पूर्व जन्म के कर्मों के मुताबिक इस संसार में कर्म फल भोगना पड़ता है।

भगवान कृष्ण की कथानुसार क्रुर राजा कंस को ये आकाशवाणी के माध्यम से ज्ञात हो चुका था कि देवकी की 8वीं सन्तान उसकी मृत्यु का कारण बनेगी। इसी कारण अनेक नवजात बच्चों की हत्या कंस के द्वारा करा दी गई थी। होनी की होनहार के सामने किसी की नहीं चलती जिसका विनाश निश्चित है उसे नहीं रोका जा सकता।
इस तरह भगवान कृष्ण ने कंस के काल के रूप में भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को जन्म लिया था और उसी रात उनके पिता वासुदेव ने उन्हें यशोदा के पास पहुँचा दिया था। श्रीकृष्ण का लालन पालन माता यशोदा ने किया जबकि उनकी जन्मदात्री माता देवकी थी।

कृष्ण जन्माष्टमी इस वर्ष

प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष 2024 को कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी को मनाया जाना है। इस वर्ष 26 एवं 27 अगस्त 2024 को भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाया जाना है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2 दिन क्यों मनाई जाती है?

जन्माष्टमी मूल रूप से इन दोनों संप्रदायों के अनुसार लगातार दो दिनों में आती है। जब जन्माष्टमी तिथि सामान्य होती है, तो वैष्णव संप्रदाय और स्मार्त संप्रदाय दोनों एक समान तिथि का पालन करते हैं और एक ही दिन मनाते हैं। लेकिन अगर तिथियाँ अलग-अलग हैं। स्मार्त संप्रदाय के लोग प्रथम तिथि को मनाते हैं जबकि वैष्णव संप्रदाय द्वितीय तिथि को मनाते हैं। वैष्णव संस्कृति अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के लिए प्रतिबद्ध है और वे उसी के अनुसार त्योहार मनाते हैं। वैष्णव मतानुसार कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू कैलेंडर की नवमी और अष्टमी तिथि को आता है। जबकि स्मार्त सम्प्रदाय सप्तमी की तिथि को मनाना पसंद करते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी मनाने का नैतिक उद्देश्य

कृष्ण जन्माष्टमी के मुख्य हैं – 1. बुरे विचारों का त्याग।
2. धार्मिक सिद्धांतों का पालन।
3. निस्वार्थ कर्म करना।
जब-जब भी इस धरती पर पाप, अनाचार और अधर्म हद से ज्यादा बढ़ जाता हैं तो भगवान का धरती पर अवतरण होता है। भगवान विष्णु किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए धरती पर अवतरित होते रहते हैं। श्रीकृष्ण जी भी विष्णु जी के ही एक अवतार हैं।

भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम एवं उनका हिन्दी अर्थ

क्र. नाम ― हिन्दी अर्थ
1. अचला ― भगवान।
2. अच्युत ― अचूक प्रभु या जिसने कभी भूल न की हो।
3. अद्भुतह ― अद्भुत प्रभु।
4. आदिदेव ― देवताओं के स्वामी।
5. अदित्या ― देवी अदिति के पुत्र।
6. अजन्मा ― जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो।
7. अजया ― जीवन और मृत्यु के विजेता।
8. अक्षरा ― अविनाशी प्रभु।
9. अमृत ― अमृत जैसा स्वरूप वाले।
10. अनादिह ― सर्वप्रथम हैं जो।
11. आनंद सागर ― कृपा करने वाले।
12. अनंता ― अंतहीन देव।
13. अनंतजीत ― हमेशा विजयी होने वाले।
14. अनया ― जिनका कोई स्वामी न हो।
15. अनिरुद्धा ― जिनका अवरोध न किया जा सके।
16. अपराजित ― जिन्हें हराया न जा सके।
17. अव्युक्ता ― माणभ की तरह स्पष्ट।
18. बाल गोपाल ― भगवान कृष्ण का बाल रूप।
19. बलि ― सर्वशक्तिमान।
20. चतुर्भुज ― चार भुजाओं वाले प्रभु।
21. दानवेंद्रो ― वरदान देने वाले।
22. दयालु ― करुणा के भंडार।
23. दयानिधि ― सब पर दया करने वाले।
24. देवाधिदेव ― देवों के देव।
25. देवकीनंदन ― देवकी के पुत्र।
26. देवेश ― ईश्वरों के भी ईश्वर।
27. धर्माध्यक्ष ― धर्म के स्वामी।
28. द्वारकाधीश ― द्वारका के अधिपति।
29. गोपाल ― ग्वालों के साथ खेलने वाले।
30. गोपालप्रिया ― ग्वालों के प्रिय।
31. गोविंदा ― गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले।
32. ज्ञानेश्वर ― ज्ञान के भगवान।
33. हरि ― प्रकृति के देवता।
34. हिरण्यगर्भा ― सबसे शक्तिशाली प्रजापति।
35. ऋषिकेश ― सभी इन्द्रियों के दाता।
36. जगद्गुरु ― ब्रह्मांड के गुरु।
37. जगदीशा ― सभी के रक्षक।
38. जगन्नाथ ― ब्रह्मांड के ईश्वर।
39. जनार्धना ― सभी को वरदान देने वाले।
40. जयंतह ― सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले।
41. ज्योतिरादित्या ― जिनमें सूर्य की चमक है।
42. कमलनाथ ― देवी लक्ष्मी के प्रभु।
43. कमलनयन ― जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
44. कामसांतक ― कंस का वध करने वाले।
45. कंजलोचन ― जिनके कमल के समान नेत्र हैं।
46. केशव ― लंबे, सुंदर बालों वाला।
47. कृष्ण ― सांवले रंग वाले।
48. लक्ष्मीकांत ― देवी लक्ष्मी के देवता।
49. लोकाध्यक्ष ― तीनों लोक के स्वामी।
50. मदन ― प्रेम के प्रतीक।
51. माधव ― ज्ञान के भंडार।
52. मधुसूदन ― मधु-दानवों का वध करने वाले।
53. महेन्द्र ― इन्द्र के स्वामी।
54. मनमोहन ― सबका मन मोह लेने वाले।
55. मनोहर ― बहुत ही सुंदर रूप-रंग वाले प्रभु।
56. मयूर ― मुकुट पर मोरपंख धारण करने वाले भगवान।
57. मोहन ― सभी को आकर्षित करने वाले।
58. मुरली ― बांसुरी बजाने वाले प्रभु।
59. मुरलीधर ― मुरली धारण करने वाले।
60. मुरली मनोहर ― मुरली बजाकर मोहने वाले।
61. नंदगोपाल ― नंद बाबा के पुत्र।
62. नारायन ― सबको शरण में लेने वाले।
63. निरंजन ― सर्वोत्तम।
64. निर्गुण ― जिनमें कोई अवगुण नहीं।
65. पद्महस्ता ― जिनके कमल की तरह हाथ हैं।
66. पद्मनाभ ― जिनकी कमल के आकार की नाभि हो।
67. परब्रह्मन ― परम सत्य।
68. परमात्मा ― सभी प्राणियों के प्रभु।
69. परम पुरुष ― श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले।
70. पार्थसारथी ― अर्जुन के सारथी।
71. प्रजापति ― सभी प्राणियों के नाथ।
72. पुण्य ― निर्मल व्यक्तित्व।
73. पुरुषोत्तम ― उत्तम पुरुष।
74. रविलोचन ― सूर्य जिनका नेत्र है।
75. सहस्राकाश ― हजार आंख वाले प्रभु।
76. सहस्रजीत ― हजारों को जीतने वाले।
77. सहस्रपात ― जिनके हजारों पैर हों।
78. साक्षी ― समस्त देवों के गवाह।
79. सनातन ― जिनका कभी अंत न हो।
80. सर्वजन ― सब कुछ जानने वाले।
81. सर्वपालक ― सभी का पालन करने वाले।
82. सर्वेश्वर ― समस्त देवों से ऊँचे।
83. सत्य वचन ― सत्य कहने वाले।
84. सत्यव्त ― श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव।
85. शंतह ― शांत भाव वाले।
86. श्रेष्ठ ― महान।
87. श्रीकांत ― अद्भुत सौंदर्य के स्वामी।
88. श्याम ― जिनका रंग सांवला हो।
89. श्यामसुंदर ― सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले।
90. सुदर्शन ― रूपवान।
91. सुमेध ― सर्वज्ञानी।
92. सुरेशम ― सभी जीव-जंतुओं के देव।
93. स्वर्गपति ― स्वर्ग के राजा।
94. त्रिविक्रमा ― तीनों लोकों के विजेता।
95. उपेन्द्र ― इन्द्र के भाई।
96. वैकुंठनाथ ― स्वर्ग के रहने वाले।
97. वर्धमानह ― जिनका कोई आकार न हो।
98. वासुदेव ― सभी जगह विद्यमान रहने वाले।
99. विष्णु ― भगवान विष्णु के स्वरूप।
100. विश्वदक्शिनह ― निपुण और कुशल।
101. विश्वकर्मा ― ब्रह्मांड के निर्माता।
102. विश्वमूर्ति ― पूरे ब्रह्मांड का रूप।
103. विश्वरूपा ― ब्रह्मांड हित के लिए रूप धारण करने वाले।
104. विश्वात्मा ― ब्रह्मांड की आत्मा।
105. वृषपर्व ― धर्म के भगवान।
106. यदवेंद्रा ― यादव वंश के मुखिया।
107. योगि ― प्रमुख गुरु।
108. योगिनाम्पति ― योगियों के स्वामी।

जाप हेतु भगवान कृष्ण के 108 नाम

1. ॐ कृष्णाय नमः।
2. ॐ कमलनाथाय नमः।
3. ॐ वासुदेवाय नमः।
4. ॐ सनातनाय नमः।
5. ॐ वसुदेवात्मजाय नमः।
6. ॐ पुण्याय नमः।
7. ॐ लीलामानुष विग्रहाय नमः।
8. ॐ श्रीवत्सकौस्तुभधराय नमः।
9. ॐ यशोदावत्सलाय नमः।
10. ॐ हरिचे नमः।
11. ॐ चतुर्भुजात्तचक्रासिगदा नमः।
12 ॐ स‌ङ्ख्याम्बुजायुदायुजाय नमः।
13. ॐ देवकीनन्दनाय नमः।
14. ॐ श्रीशाय नमः।
15. ॐ नन्दगोपप्रियात्मजाय नमः।
16. ॐ यमुनावेगासंहारिणे नमः।
17. ॐ बलभद्रप्रियनुजाय नमः।
18. ॐ पूतनाजीवितहराय नमः।
19. ॐ शकटासुरभञ्जनाय नमः।
20. ॐ नन्दव्रजजनानन्दिने नमः।
21. ॐ सच्चिदानन्द‌विग्रहाय नमः।
22. ॐ नवनीतविलिप्ताङ्गाय नमः।
23. ॐ नवनीतनटनाय नमः।
24. ॐ मुचुकुन्दप्रसादकाय नमः।
25. ॐ षोडशस्त्रीसहसेशाय नमः।
26. ॐ त्रिभङ्गिने नमः।
27. ॐ मथुराकृतये नमः।
28. ॐ शुकवागमृताब्दीन्दवे नमः।
29. ॐ गोविन्दाय नमः।
30. ॐ योगिनांपतये नमः।
31. ॐ वत्सवाटिचराय नमः।
32. ॐ अनन्ताय नमः।
33. ॐ धेनुकासुरभञ्जनाय नमः।
34. ॐ तृणीकृत तृणावर्ताय नमः।
35. ॐ यमलार्जुनभञ्जनाय नमः।
36. ॐ उत्तलोचालभेत्रे नमः।
37. ॐ तमालश्यामलाकृक्तिये नमः।
38. ॐ गोपगोपीश्वराय नमः।
39. ॐ वोगिने नमः।
40. ॐ कोटिसूर्यसमप्रभाय नमः।
41. गोपीवस्त्रापहाराकाय नमः।
42. ॐ परंज्योतिषे नमः।
43. ॐ यादवेंद्राय नमः।
44. ॐ यदूद्वहाय नमः।
45. ॐ वनमालिने नमः।
46. ॐ पीतवसने नमः।
47. ॐ पारिजातापहारकाय नमः।
48. ॐ गोवर्धनाचलोद्धत्रे नमः।
49. ॐ गोपालाय नमः।
50. ॐ सर्वपालकाय नमः।
51. ॐ अजाय नमः।
52. ॐ निरज्ञ्जनाय नमः।
53. ॐ कामजनकाय नमः।
54. ॐ कज्जलोचनाय नमः।
55. ॐ मधुघ्ने नमः।
56. ॐ मधुरानाथाय नमः।
57. ॐ द्वारकानायकाय नमः।
58. ॐ बलिने नमः।
59. ॐ बृन्दावनान्त सन्चारिणे नमः।
60. ॐ तुलसीदाम भूषनाय नमः।
61. ॐ स्यमन्तकमणेर्हत्रे नमः।
62. ॐ नरनारयणाल्यकाय नमः।
63. ॐ कुब्जा कृष्णाम्बरधराय नमः।
64. ॐ माथिने नमः।
65. ॐ परमपुरुषाय नमः।
66. मुष्टिकासुर चाणूर मल्लयुद्ध विशारदाय नमः।
67. ॐ संसारवैरिणे नमः।
68. ॐ कसारयै नमः।
69. ॐ मुरारये नमः।
70. ॐ नाराकान्तकाय नमः।
71. ॐ अनादि ब्रह्मचारिणे नमः।
72. ॐ कृष्णाव्यसन कर्शकाय नमः।
73. ॐ शिशुपालशिरश्छेत्रे नमः।
74. ॐ दुर्योधनकुलान्तकाय नमः।
75. ॐ विदुराक्रूर दरदाय नमः।
76. ॐ विश्वरूपप्रदर्शकाय नमः।
77. ॐ सत्यवाचे नमः।
78. ॐ सत्य सङ्कल्पाय नमः।
79. ॐ सत्यभामारताय नमः।
80. ॐ जयिने नमः।
81. विशारदाय नमः।
82. ॐ विष्णवे नमः।
83. ॐ भीष्ममुक्ति प्रदायकाय नमः।
84. ॐ जगदूरवे नमः।
85. ॐ जगन्नाथाय नमः।
86. ॐ वेणुनाद विशारदाय नमः।
87. ॐ वृषभासुर विश्वसिने नमः।
88. ॐ बाणासुर करान्तकाय नमः।
89. ॐ युधिष्ठिर प्रतिष्ठात्रे नमः।
90. ॐ बर्हिबह‌वतंसकाय नमः।
91. ॐ पार्थसारथये नमः।
92. ॐ अव्यक्ताय नमः।
93. ॐ गीतामृत महोदधये नमः।
94. ॐ कालीय फणिमाणिक्य रज्जित श्री पदाम्बुजाय नमः।
95. ॐ दामोदराय नमः।
96. ॐ यज्ञभोक्त्रे नमः।
97. ॐ दानवेन्द्र विनाशकाय नमः।
98. ॐ नारायणाय नमः।
99. ॐ परब्रह्मणे नमः।
100. ॐ पन्नगाशन वाहनाय नमः।
101. ॐ जलक्रीडा समासक्त गोपीवस्त्रापहाराकाय नमः।
102. ॐ पुण्य श्लोकाय नमः।
103. ॐ तीर्थकृते नमः।
104. ॐ वेदवेद्याय नमः।
105. ॐ दयानिधये नमः।
106. ॐ सर्वभूतात्मकाय नमः।
107. ॐ सर्वग्रह रुपिणे नमः।
108. ॐ परात्पराय नमः।

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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com

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