आध्यात्मिक पहलू - गन्दे और अस्त-व्यस्त वस्त्र धारण क्यों नही करना चाहिए? | Why should one not wear dirty and untidy clothes?
सर्व सामान्य तथ्य— हमारी भारतीय संस्कृति में सफाई और स्वच्छता का विशेष महत्व है। स्वच्छता तन की हो या मन अर्थात विचारों की, जीवन को कौशल पूर्वक जीने के लिए वस्त्रों की स्वच्छता एवं शालीनता आवश्यक है। जिस तरह गन्दे वस्त्र धारण करने से व्यक्ति का आकर्षण मिट जाता है, उसके पास कोई भी आकर बैठना या उसकी बातें सुनना पसंद नहीं करता ठीक उसी तरह हमारे मन की मलीनता के कारण भी हमसे लोग सदैव दूरियाँ बनाकर रखते हैं।
आध्यात्मिक पक्ष— यहाँ बात वस्त्र धारण की आई है तो हमें कभी भी गन्दे और अस्त-व्यस्त वस्त्र धारण नहीं करना चाहिए। इसका कारण केवल इतना सा ही नहीं है कि लोग हमारे पास नहीं आते या हमसे बातें नहीं करते या हमसे दूरियाँ बनाते हैं। बल्कि इसके दूसरे पहलू भी हैं जो ज्यादा महत्व रखते हैं। धर्म और आध्यात्म हमारे जीवन का सबसे अहम क्षेत्र है और गन्दे और अस्त-व्यस्त वस्त्र धारण करने का प्रभाव भी इस पर पड़ता है।
ऊर्जा का प्रवाह— प्रकृति में जड़ चेतन कोई भी वस्तु हो उससे दो तरह की ऊर्जाएँ प्रवाहित करती हैं। पहली सकारात्मक ऊर्जा और दूसरी नकारात्मक ऊर्जा। सकारात्मक ऊर्जा उस ओर प्रवाहित होती है जहाँ चीजें नियमबद्ध और व्यवस्थित होती है। जबकि नकारात्मक ऊर्जा उस ओर आकर्षित होती है जहाँ अस्त-व्यस्तता हो या मलीनता होती है। आपको अवश्य ऐसा लगता होगा कि ऐसा कैसे हो सकता है? इसके कई उदाहरण प्रस्तुत किए जा सकते हैं। आप स्वयं सोचे कि जन समुदाय के समक्ष दो व्यक्ति खड़े हैं जिसमें एक व्यक्ति ने बहुत ही सुंदर साफ सुथरे कपड़े पहने हैं जबकि दूसरे व्यक्ति ने गंदे कपड़े पहने हैं तो सामने खड़ी भीड़ की नजर सबसे अधिक किस पर होगी? निश्चित ही आपका उत्तर होगा जिसने साफ सुथरे कपड़े पहने हैं उस पर। इसी तरह से प्रकृति की हर चीज सकारात्मक ऊर्जा के साथ उसी की ओर आकर्षित होती है जहाँ स्वच्छता एवं शालीनता हो।
गंदे वस्त्र मुसीबतों का आमंत्रण— गंदे वस्त्र धारण करने वालों के आसपास नकारात्मक ऊर्जा उपस्थित होती है क्योंकि चाहे जड़ हो या चेतन उनके अंदर की नकारात्मक ऊर्जा ऐसे ही व्यक्ति की ओर आकर्षित होती है जिससे वह व्यक्ति न तो प्रसन्नचित रहता है और न ही उत्साहित रह पाता है।
दूसरा पहलू गंदे वस्त्र धारण करना बीमारियों, दुखों, परेशानियों, दरिद्रताओं और अशांति को आमंत्रण देने जैसा ही है।
यदि आप सदैव स्वस्थ रहना चाहते हैं, जीवन में सदा खुशहाली की कामना करते हैं, आर्थिक रूप से सशक्त और समृद्ध (धनवान) बनना चाहते हैं तो अपने रहन-सहन और वस्त्र धारण का तरीका बदलना होगा। शांत और सुखमय जीवन जीने के लिए सदा ही साफ स्वच्छ और व्यवस्थित वस्त्र पहनें यही हमारे लिए हितकर होगा। साफ और स्वच्छ स्थान पर दैवीय शक्तियाँ आकर्षित होती है अतः हमारे वस्त्र साफ-सुथरे व व्यवस्थित होंगे तो हमारे चित्त में सद्गुणों का उद्भव होगा।
वास्तु शास्त्र और वस्त्र — वास्तु शास्त्र के अनुसार भी गंदे वस्त्र धारण करने पर रजो एवं तमो गुणों में वृद्धि होती है जिससे व्यक्ति की मानसिक स्थिति खराब होने लगती है और मन में अशांति भी बढ़ने लगती है। इसी के साथ व्यक्ति अंदर से काफी परेशान भी रहने लगता है।
चरित्र एवं व्यक्तित्व की पहचान वस्त्र— किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व में उसके कपड़ों की भी एक अहम भूमिका होती है। वस्त्र न सिर्फ तन को ढकते हैं बल्कि ये व्यक्ति के चरित्र, गुणों और विचारों को भी प्रकट करते हैं। गंदे एवं अस्त-व्यस्त वस्त्र हमारे तन और मन दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। स्वच्छ और व्यवस्थित ढंग से वस्त्रों को धारण करने वालों की समाज में एक अलग पहचान होती है। उनका सभी मान-सम्मान भी करते हैं। उनके पास सभी बैठना चाहते हैं और उनकी बातें सुनना चाहते हैं। इसके विपरीत गंदे और मलीन वस्त्र वस्त्र धारण करने वालों से लोग सदैव दूरी बनाकर ही रखते हैं। अत: सदैव स्वच्छ एवं व्यवस्थित वस्त्र ही धारण करना चाहिए।
छोटे वस्त्र बनाम नकारात्मक ऊर्जा— अस्त-व्यस्त वस्त्रों की श्रेणी में ऐसे भी वस्त्र आते हैं जो आजकल फैशन के नाम पर पहने जा रहे हैं। छोटे-छोटे वस्त्र जो पूरे शरीर को अच्छी तरह नहीं ढक पाते विशेष तौर से आजकल की लड़कियाँ ऐसे पाश्चात्य संस्कृति के वस्त्रों को धारण करके अंग प्रदर्शन करती हैं। ऐसा करके वे अपने लिए नकारात्मक ऊर्जाओं को आमंत्रित करती हैं। उनके समक्ष सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह नहीं होता है बल्कि नकारात्मक और वासना से युक्त ऊर्जा ही प्रवाहित होती है। अस्त-व्यस्त कपड़ों को आज के युग में फैशन डिजाइन के तौर पर ज्यादा से ज्यादा पहना जा रहा है जो हमारी भारतीय संस्कृति के लिए भी घातक है। आज की नई पीढ़ी अस्त-व्यस्त कपड़ों को पहनकर स्वयं फैशन के नाम पर अपने आप को अच्छा प्रदर्शित करने की कोशिश करते हैं किंतु वे इस बात को भूल रहे हैं कि अस्त-व्यस्त वस्त्रों को पहनने से चरित्रहीनता दृष्टिगोचर होती है। व्यक्ति कभी भी चरित्रवान कभी नहीं बन सकता है।
ज्योतिष शास्त्र और हमारे वस्त्र— फैशन के तौर पर पहने जाने वाले फटे और अव्यवस्थित वस्त्रों ज्योतिष शास्त्र भी अशुभ मानना है ऐसे वस्त्र नकारात्मक ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। व्यक्ति की दिनचर्या एवं उसके रहन-सहन की वजह से व्यक्ति की ग्रह-दशा में मौजूद ग्रहों पर खास असर होता है। ज्योतिष के अनुसार कपड़ों पर बृहस्पति शुक्र और शनि ग्रहों का अधिपत्य होता है। यदि हमारे पहने गए वस्त्र अस्त-व्यस्त, फटे-पुराने और गंदे हों तो उसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अतः भारतीय संस्कृति में हमें अपने परिधान का विशेष तौर से ध्यान रखना चाहिए।
ब्रह्मकुमारी आस्था दीदी
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