परीक्षा तैयारी हेतु सटीक प्रश्र (उत्तर सहित) कक्षा 6 (class 6) पाठ 2 (path two) कटुक वचन मत बोल (katuk vachan mat bol) विषय हिंदी (Hindi)
प्रश्र (1) संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
सदा से यह कहा जाता रहा है कि किसी का हृदय अपनी कटु वाणी से दुखी मत करो।
'मधुर वचन है औषधि, कटुक वचन है तीर।
श्रवण मार्ग होड़ संचरै, वेधै सकल शरीर॥
कटुक वचन सबसे बुरा, जारि करै तन छार।
साधु वचन जल रूप है, बरसै अमृत धार॥
कुदरत को नापसन्द है सख्ती जबान में।
इसलिए तो दी नहीं हड्डी जबान में॥
जो बात कहो, साफ हो, सुथरी हो, भली हो।
कड़वी न हो, खट्टी न हो, मिश्री की डली हो॥
सन्दर्भ— प्रस्तुत पघांश हमारी भाषा—भारती पाठ्य—पुस्तक के पाठ 2 'कटुक वचन मत बोल' से लिया गया है। इसके लेखक श्री रामेश्वर दयाल दुबे जी हैं।
प्रसंग— इन पंक्तियों में लेखक ने किसी कवि की उक्तियों को उदाहरण रूप में प्रस्तुत करके कहा है कि कड़वी बात कहकर किसी को भी दुःख नहीं पहुँचाना चाहिए।
व्याख्या— लेखक रामेश्वर दयाल दुबे जी का कथन यह है कि अपने कटु वचनों से किसी को भी कष्ट नहीं पहुँचाना चाहिए; क्योंकि मीठी वाणी एक औषधि है जिससे मनुष्य अपने तन और मन से स्वस्थ रहता है, जबकि कड़वा वचन तीर (वाण) के समान है जो कानों के मार्ग से प्रवेश पाकर सारे शरीर को वेध देता है। कटु वचन सबसे बुरा है जिससे सारा शरीर जलकर छार (राख) हो जाता है जबकि सज्जन की मधुर वाणी शीतल जल के समान है जो बरसकर (कहे जाने पर) सुनने वाले व्यक्ति पर अमृतधारा जैसा प्रभाव डालती है (जिससे शारीरिक और मानसिक ताप (कष्ट) समाप्त हो जाते हैं)।
प्रश्न (2) रिक्त स्थान भरिए—
(क) वाणी का वरदान मात्र मानव को मिला है।
(ख) वाणी के दुरुपयोग से स्वर्ग भी नर्क में परिणत हो सकता है।
(ग) औषधि मधुर वचन है।
प्रश्र (3) अति लघु उत्तरीय प्रश्न—
(क) श्रीमती शास्त्री नौकर पर क्रोधित क्यों हुई?
उत्तर— श्रीमती शास्त्री नौकर पर क्रोधित इसलिए हुई क्योंकि उससे कोई काम बिगड़ गया था।
(घ) राजा ने स्वप्न में क्या देखा?
उत्तर— राजा ने स्वप्न में देखा कि उसके सारे दाँत टूट गए हैं।
प्रश्र (4) लघु उत्तरीय प्रश्न—
(क) 'कटुक वचन मत बोल' पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर— 'कटुक वचन मत बोल' पाठ से हमें शिक्षा मिलती है कि मनुष्यों को हमेशा विनम्र और मधुरभाषी होना चाहिए। विनम्रता और प्रेमपूर्ण भाषा के प्रयोग से मनुष्य दीर्घजीवी होता है। कड़वी बात से झगड़े-झंझट पैदा होते हैं। अतः हमें सदैव मृदुभाषी होना चाहिए।
(ख) हमें वाणी का वरदान न मिला होता तो क्या होता?
उत्तर— मनुष्य को ईश्वर ने वाणी का वरदान दिया है, जिससे वह अपने दुःख-सुख के भावों को अपने दूसरे साथियों से कह लेता है। दूसरों के भावों को सुनकर उनकी सहायता कर लेता है। वाणी के वरदान के न मिलने की दशा में यह सारा जगत मूक बना होता।
(ग) लुकमान ने अपने मालिक के दोनों प्रश्नों के उत्तर में 'जीभ' ही क्यों कहा?
उत्तर— लुकमान ने अपने मालिक के दोनों प्रश्नों के उत्तर में 'जीभ' ही कहा क्योंकि जीभ अच्छी है, तो सब अच्छा ही अच्छा है और अगर शरीर में जीभ अच्छी नहीं है तो सब बुरा ही बुरा है। जीभ के कारण ही सारी बुराई और भलाई है।
परीक्षा हेतु महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर के बारे में जानिए।।
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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