गजाननं भूतगणादि सेवितं ... श्लोक की फलप्राप्ति | श्लोक का संस्कृत अर्थ, हिन्दी व अंग्रेजी अनुवाद | शब्दों का अर्थ व विश्लेषण
गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जम्बूफल चारु भक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥
Gajananam Bhootganadisevitam Kapitthphal Jamboophal Charu Bhakshanam.
Umasutam Shokvinashkarkam Namami Vighneshwar Pad Pankjam.
संस्कृत में अर्थ ― भो गजसदृशमुखः ईश्वरः ! भूतादिगणादिभिः पूज्यते भवान्। कपित्थं जम्बूफलं च सुन्दरं भोजसि महता रसेन। भो उमासुतः ! त्वं सर्वदुःखनाशकः असि। सर्वविघ्नहरे देव ! अहं तव पादपद्मं पूजयामि।
हिन्दी अनुवाद― हे ! गज (हाथी) के समान मुख (मुँह) वाले ईश्वर, आपकी भूतादि गणों (भूत-प्रेतों) और अन्य लोगों के द्वारा सेवा - आराधना (पूजा) की जाती है। आप सुंदर कपित्थ (बेल) और जम्बू (जामुन) के फलों का बड़े रुचि (चाव) के साथ भक्षण करते (खाते) हैं। हे माता भगवती जगदम्बा भवानी उमा (पार्वती) के पुत्र ! आप समस्त दुखों को नष्ट करने वाले हैं। समस्त विघ्नों (बाधाओं/कष्टों) को दूर करने वाले भगवान आपके कमल के समान चरणों की मैं वन्दना करता हूँ।
अंग्रेजी अनुवाद ― O god with a face like an elephant! You are worshiped by ghosts and other hosts. O son of Goddess mother Uma (Parvati), you eat the beautiful Kapittha and Jambu fruits with great taste! You are the destroyer of all sorrows. O Lord of all obstacles! I worship your like lotus feet.
शब्दों के अर्थ
गज (gaj) = हाथी।
आनन (aanan) = मुख मण्डल (सिर)
गजाननं (gajananam) = गज (हाथी) के समान मुख वाले।
भूतगणादि (bhutganadi) = भूत आदि के गण।
सेवितं (sevitam) = सेवा-सुश्रुषा करते हैं।
कपित्थ (kapittha) = कपिता का फल।
जम्बूफल (jambuphal) = जम्बू (जामुन) का फल।
चारु भक्षणम् (Charu bhakshanam) = रूचि (चाव) से खाने वाले।
उमासुतं (Umasutam) = माता पार्वती (उमा) के पुत्र।
शोक (shok) - शोक, दुःख या क्लेश।
विनाशकारकं (shokvinashkarkam) = विनाश (हरने) करने वाले।
नमामि (namami) - वन्दना करता हूँ।
विघ्नेश्वर (vighneshwar) = विघ्नों को नष्ट करने वाले।
पादपङ्कजम् (padpankjam) = कमल के समान चरणों की वन्दना करता हूँ।
शब्द विश्लेषण
1. गजाननं – पौराणिक कथाओं के आधार पर भगवान शिव के द्वारा गणेश जी का सिर काट दिए जाने के पश्चात माता पार्वती के अनुरोध पर भगवान शंकर के द्वारा हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुनः जीवित किया गया था इसी कारण उन्हें गजानन (गज के आनन वाले) कहा जाता है।
2. भूतगणादि – भगवान शंकर को भूतनाथ भी कहा जाता है अर्थात उनके गणों में भूत-प्रेत, नंदी, श्रंगी आदि सम्मिलित हैं। गणेश जी भगवान शंकर के लाड़ले पुत्र हैं अर्थात परिवार के सदस्य हैं इस कारण भूत प्रेत आदि गणों के द्वारा उनकी पूजा अर्चना सेवा की जाती है।
3. कपित्थ – बेल के आकार का एक कसैला और खट्टा फल जो ऊपर से कठोर और अंदर से मुलायम होता है । कपित्थ एक कँटीला पेड़ होता है जिसमें बेल के समान काष्ठ के समान व आकार वाले कसैले और खट्टे फल लगते हैं इसे कपिथा भी कहते हैं।
इसके पर्यायवाची शब्द – कैथ, कैथ वृक्ष, कैथा, दोषपाचन, शिरापत्र, नीलमल्लिका, पुष्पफल, नागपुष्पक, मालूर, विशालक, लिंगक, कठबेल, हेमंतनाथ, हेमन्तनाथ, मन्नथ, हेम, लिङ्क, चिरपाकी आदि हैं।
4. जम्बूफल – जामुन का फल यह एक अम्लीय और कसैला होता है किंतु स्वाद में बहुत मीठा होता है।
इसके पर्यायवाची शब्द – राजमन, काला जामुन, जमाली, ब्लैकबेरी आदि।
5. उमासुतं – भगवान गणेश को प्रायः माता पार्वती के पुत्र के नाम से ज्यादा आह्वान किया जाता है और उन्हें पार्वतीनंदन या उमासुत कहते हैं।
6. विघ्नेश्वर – समस्त प्रकार के विघ्नों, आपत्तियों, कष्टों, दुखों आदि को हरने वाले (दूर करने वाले) ईश्वर।
फल की प्राप्ति
ईश्वर की आराधना के लिए हमारे वेद-वेत्ताओं, आदि ऋषि-मुनियों द्वारा रचित कोई भी श्लोक या मंत्र सदैव मंगलकारी होते हैं। मंत्रों के उच्चारण से निकलने वाली ध्वनि में असीम ऊर्जा छिपी होती है किन्तु इसमें ध्यान यह रखना चाहिए कि मंत्रों या श्लोकों का ठीक ठीक उच्चारण होना चाहिए। सही उच्चारण से शुद्ध ध्वनि कानों में पड़ती है जिससे ऊर्जा का संचार होता है और कई तरह की बाधाओं और व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
गणेशजी की स्तुति हेतु रचित यह श्लोक (गजाननं भूतगणादि सेवितं .....) जीवन की बाधाओं को दूर करने में समर्थ है। इसका जाप करके मानव अपने रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं पार कर उत्तम फल को प्राप्त करता है। गणेश जी का यह श्लोक ऊर्जा और शक्ति से भरपूर है। इस मंत्र से स्तुति करने से विनायक प्रभु बहुत प्रसन्न होते हैं। इसी के साथ जीवन की सभी बाधाओं को दूर करते है। धन, बुद्धि, सौभाग्य, समृद्धि का हमें आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
BK आस्था दीदी
सिवनी मध्यप्रदेश
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R F Temre
pragyaab.com
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