राम रक्षा स्तोत्र (हिन्दी अनुवाद सहित) – श्री राम भगवान की पूजा का विधान | संस्कृत श्लोकों (मंत्रों) का सटीक अनुवाद
आचम्य प्राणानायाम्य कृत नित्य क्रिया यजमान स्व दक्षिण हस्ते जलाक्षतान् गृहीत्वा संकल्पं कुर्यात्॥
हिन्दी अनुवाद – यजमान भगवान् श्रीराम का पूजन करने के लिये रामजन्म-रामनवमी चैत्र के महीने में नवरात्री में अखण्ड रामायण के साथ रामजन्मोत्सव में रामप्रतिष्ठा, रामयज्ञ, रामपूजा में निम्नलिखित विधि के द्वारा भगवान् श्री दशरथ नन्दन कौसलेन्द्र महाराज श्री सीताराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और हनुमान जी के साथ पूजन करें। गुरु गणपति पूजयित्वा।
अथ संकल्प
अद्य पूर्वोच्चारित ग्रहगुण विशेषेण विशिष्टायां शुभ रामनवमी तिथौ चैत्रमासे शुक्लपक्षे महा नवम्यां रामजन्मोत्सवे। भगवान् श्री रामचन्द्र जन्म तिथौ श्रीराम पूजनं महंकरिष्ये॥
हाथ में पुष्पाक्षत लेकर भगवान् श्रीराम का ध्यान करना चाहिये।
ॐ कोमलांगं विशालाक्षं इन्द्र नील समप्रभम्।
दक्षिणांगे दशथं पुत्रावेक्षण तत्परम्॥
पृष्ठतो लक्ष्मणं देवं सच्छत्रं कनकप्रभुम्।
पार्श्व भरत शत्रुघ्नौ चमर व्यंजनान्वितौ।
अग्रेऽयग्र हनुमन्तं रामानुगहकांक्षिणम्॥
'राम रक्षा कवच' की सिद्धि की विधि
नवरात्र में प्रतिदिन नौ दिनों तक ब्राह्म-मुहूर्त में नित्य-कर्म तथा स्नानादि से निवृत्त हो शुद्ध वस्त्र धारण कर कुशा के आसन पर सुखासन लगाकर बैठ जाइये। भगवान् श्रीराम के कल्याणकारी स्वरूप में चित्त को एकाग्र करके इस महान् फलदायी स्तोत्र का कम-से-कम ग्यारह बार और यदि न हो सके तो सात बार नियमित रूप से प्रतिदिन पाठ कीजिये। पाठ करने वाले की श्रीराम की शक्तियों के प्रति जितनी अखण्ड श्रद्धा होगी, उतना ही फल प्राप्त होगा। वैसे 'राम रक्षा कवच' कुछ लंबा है, पर इस संक्षिप्त रूप से भी काम चल सकता है। पूर्ण शान्ति और विश्वास से इसका जाप होना चाहिये, यहाँ तक कि यह कण्ठस्थ हो जाय।
विनियोगः
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः श्रीसीतारामचन्द्रो देवता अनुष्टुप् छन्दः सीता शक्तिः श्रीमान् हनुमान् कीलकं श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः।
हिन्दी अनुवाद – इस राम रक्षा स्तोत्र-मंत्र के बुध कौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचन्द्र देवता हैं, अनुष्टुप् छन्द है, सीता शक्ति हैं, श्रीमान् हनुमान् जी कीलक हैं तथा श्री रामचन्द्र जी की प्रसन्नता के लिये राम रक्षा स्तोत्र के जप में विनियोग किया जाता है।
ध्यानम्
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं
पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम।
वामाङ्कारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं
नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचन्द्रम्॥
हिन्दी अनुवाद – जो धनुष-बाण धारण किये हुए हैं, बद्ध पद्मासन से विराजमान हैं, पीताम्बर पहने हुए हैं, जिनके प्रसन्न नयन नूतन कमल दल से स्पर्धा करते तथा वाम भाग में विराजमान श्री सीता जी के मुख कमल से मिले हुए हैं, उन आजानु बाहु, मेघश्याम, नाना प्रकार के अलंकारों से विभूषित तथा विशाल जटाजूटधारी श्री रामचन्द्र जी का ध्यान करें।
अथ राम रक्षा स्तोत्रम्
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्॥१॥
हिन्दी अनुवाद – श्री रघुनाथ जी का चरित्र सौ करोड़ विस्तार वाला है और उसका एक-एक अक्षर भी मनुष्यों के महान् पापों को नष्ट करने वाला है।
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्।
जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमण्डितम्॥२॥
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचारान्तकम्।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्॥३॥
रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्।
शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः॥४॥
हिन्दी अनुवाद – जो नील कमल के समान श्याम वर्ण, कमल-नयन, जटाओं के मुकुट से सुशोभित, हाथों में खड्ग, तूणीर, धनुष और बाण धारण करने वाले, राक्षसों के संहारकारी तथा संसार की रक्षा के लिये अपनी लीला से ही अवतीर्ण हुए हैं, उन अजन्मा और सर्वव्यापक भगवान् राम का जानकी और लक्ष्मण जी के सहित स्मरण कर प्राज्ञ पुरुष इस सर्व कामप्रदा और पाप विनाशिनी राम रक्षा का पाठ करे। मेरी सिर की राघव और ललाट की दशरथात्मज रक्षा करें।
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः॥५॥
हिन्दी अनुवाद – कौसल्या नन्दन नेत्रों की रक्षा करें, विश्वामित्र प्रिय कानों को सुरक्षित रक्खें तथा यज्ञ रक्षक घ्राण की और सौमित्रि वत्सल मुख की रक्षा करें।
जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवन्दित:।
स्कन्धौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः॥६॥
हिन्दी अनुवाद – मेरी जिह्वा की विद्यानिधि, कण्ठ की भरत वन्दित, कंधों की दिव्यायुध और भुजाओं की भग्नेशकार्मुक (महादेव जी का धनुष तोड़ने वाले) रक्षा करें।
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जामदग्न्यजित्।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रयः॥७॥
हिन्दी अनुवाद – हाथों की सीता पति, हृदय की जामदग्नयजित् (परशुराम जी को जीतने वाले), मध्य भाग की खरध्वंसी (खर नाम के राक्षस का नाश करने वाले) और नाभि की जाम्बवदाश्रय (जाम्बवान् के आश्रय स्वरूप) रक्षा करें।
सुग्रीवेशः कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभुः।
ऊरू रघूत्तमः पातु रक्षःकुलविनाशकृत्॥८॥
हिन्दी अनुवाद – कमर की सुग्रीवेश (सुग्रीव के स्वामी), सक्थियों की हनुमत्प्रभु और ऊरुओं की राक्षस कुल-विनाशक रघुश्रेष्ठ रक्षा करें।
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्गे दशमुखान्तकः।
पादौ विभीषणश्रीदः पातु रामोऽखिलं वपुः॥९॥
हिन्दी अनुवाद – जानुओं की सेतुकृत्, जंघाओं की दशमुखान्तक (रावण को मारने वाले), चरणों की विभीषणश्रीद (विभीषण को ऐश्वर्य प्रदान करने वाले) और सम्पूर्ण शरीर की श्रीराम रक्षा करें।
एतां रामबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स चिरायुः सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्॥१०॥
हिन्दी अनुवाद – जो पुण्यवान् पुरुष राम बल से सम्पन्न इस रक्षा का पाठ करता है, वह दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान्, विजयी और विनय सम्पन्न हो जाता है।
पातालभूतलव्योमचारिणश्छद्मचारिणः।
न द्रष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभिः॥११॥
हिन्दी अनुवाद – जो जीव पाताल, पृथ्वी अथवा आकाश में विचरते हैं और जो छद्म वेश से घूमते रहते हैं, वे राम नामों से सुरक्षित पुरुष को देख भी नहीं सकते।
रामेति रामभद्रेति रामचन्द्रेति वा स्मरन्।
नरो न लिप्यते पापैर्भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति॥१२॥
हिन्दी अनुवाद – 'राम', 'रामभद्र', 'रामचन्द्र' - इन नामों का स्मरण करने से मनुष्य पापों से लिप्त नहीं होता तथा भोग और मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
जगज्जैत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम्।
यः कण्ठे धारयेत्तस्य करस्थाः सर्वसिद्धयः॥१३॥
हिन्दी अनुवाद – जो पुरुष जगत् को विजय करने वाले एकमात्र मन्त्र राम नाम से सुरक्षित इस स्तोत्र को कण्ठ में धारण करता है (अर्थात् इसे कण्ठस्थ कर लेता है), सम्पूर्ण सिद्धियाँ उसके हस्तगत हो जाती हैं।
वज्रपञ्जरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत्।
अव्याहताज्ञः सर्वत्र लभते जयमङ्गलम्॥१४॥
हिन्दी अनुवाद – जो मनुष्य वज्र पंजर नामक इस राम कवच का स्मरण करता है, उसकी आज्ञा का कहीं उल्लंघन नहीं होता और उसे सर्वत्र जय और मंगल की प्राप्ति होती है।
आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हरः।
तथा लिखितवान्प्रातः प्रबुद्धो बुधकौशिकः॥१५॥
हिन्दी अनुवाद – श्री शंकर ने रात्रि के समय स्वप्न में इस राम रक्षा का जिस प्रकार आदेश दिया था, उसी प्रकार प्रातः काल जागने पर बुध कौशिक ने इसे लिख दिया।
आरामः कल्पवृक्षाणां विरामः सकलापदाम्।
अभिरामस्त्रिलोकानां रामः श्रीमान्स नः प्रभुः॥१६॥
हिन्दी अनुवाद – जो मानो कल्प वृक्षों के बगीचे हैं तथा समस्त आपत्तियों का अन्त करने वाले हैं, जो तीनों लोकों में परम सुन्दर हैं, वे २ श्रीमान् राम हमारे प्रभु हैं।
तरुणौ रूपसम्पन्नौ सुकुमारौ महाबलौ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ॥१७॥
फलमूलाशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ॥१८॥
शरण्यौ सर्वसत्त्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम्।
रक्षःकुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघूत्तमौ॥१९॥
हिन्दी अनुवाद – जो तरुण अवस्था वाले, रूपवान्, सुकुमार, महाबली, कमल के समान विशाल नेत्रों वाले, चीर वस्त्र और कृष्ण मृग चर्मधारी, फल-मूल आहार करने वाले, संयमी, तपस्वी, ब्रह्मचारी, सम्पूर्ण जीवों को शरण देने वाले, समस्त धनुर्धारियों में श्रेष्ठ और राक्षस कुल का नाश करने वाले हैं, वे रघु श्रेष्ठ दशरथ कुमार राम और लक्ष्मण दोनों भाई हमारी रक्षा करें।
आत्तसज्जधनुषाविषुस्पृशा- वक्षयाशुगनिषङ्गसङ्गिनौ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणावग्रतः पथि सदैव गच्छताम्॥२०॥
हिन्दी अनुवाद – जिन्होंने संधान किया हुआ धनुष ले रक्खा है, जो बाण का स्पर्श कर रहे हैं तथा अक्षय बाणों से युक्त तूणीर लिये हुए हैं, वे राम और लक्ष्मण मेरी रक्षा करने के लिए मार्ग में सदा ही मेरे आगे चलें।
संनद्धः कवची खङ्गी चापबाणधरो युवा।
गच्छन्मनोरथान्नश्च रामः पातु सलक्ष्मणः॥२१॥
हिन्दी अनुवाद – सर्वदा उद्यत, कवचधारी, हाथ में खड्ग लिये, धनुष- बाण धारण किये तथा युवा अवस्था वाले भगवान् राम लक्ष्मण जी सहित आगे-आगे चलकर हमारे मनोरथों की रक्षा करें।
रामो दाशरथिः शूरो लक्ष्मणानुचरो बली।
काकुत्स्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्येयो रघूत्तमः॥२२॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तमः।
जानकीवल्लभः श्रीमानप्रमेयपराक्रमः॥२३॥
इत्येतानि जपन्नित्यं मद्भक्तः श्रद्धयान्वितः।
अश्वमेघाधिकं पुण्यं सम्प्राप्नोति न संशयः॥२४॥
हिन्दी अनुवाद – (भगवान् का कथन है कि) राम, दाशरथि, शूर, लक्ष्मणानुचर, बली, काकुत्स्थ, पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघूत्तम, वेदान्तवेद्य, यज्ञेश, पुराण पुरुषोत्तम, जानकी वल्लभ, श्रीमान् और अप्रमेय पराक्रम-इन नामों का नित्यप्रति श्रद्धापूर्वक जप करने से मेरा भक्त अश्वमेघ यज्ञ से भी अधिक फल प्राप्त करता है- इसमें कोई सन्देह नहीं है।
रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम्।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नराः॥२५॥
हिन्दी अनुवाद – जो लोग दूर्वादल के समान श्याम वर्ण, कमलनयन, पीताम्बरधारी भगवान् राम का इन दिव्य नामों से स्तवन करते हैं, वे संसार चक्र में नहीं पड़ते।
रामं लक्ष्मणपूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुन्दरं
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्।
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथतनयं श्यामलं शान्तमूर्तिं
वन्दे लोकाभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम्॥२६॥
हिन्दी अनुवाद – लक्ष्मण जी के पूर्वज, रघुकुल में श्रेष्ठ, सीता जी के स्वामी, अति सुन्दर, ककुत्स्थ कुल नन्दन, करुणा सागर, गुण निधान, ब्राह्मण भक्त, परम धार्मिक, राजराजेश्वर, सत्यनिष्ठ, दशरथ पुत्र, श्याम और शान्त मूर्ति, सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर, रघुकुल तिलक, राघव और रावणारि भगवान् राम की मैं वन्दना करता हूँ।
रामाय रामभद्राय रामचन्द्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीतायाः पतये नमः॥२७॥
हिन्दी अनुवाद – राम, रामभद्र, रामचन्द्र, विधातृ स्वरूप, रघुनाथ, प्रभु सीता पति को नमस्कार है।
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम श्रीराम राम भरताग्रज राम राम।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम श्रीराम राम शरणं भव राम राम॥२८॥
हिन्दी अनुवाद – हे रघुनन्दन श्री राम ! हे भरताग्रज भगवान् राम ! हे रणधीर प्रभु राम ! आप मेरे आश्रय होइये।
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये॥२९॥
हिन्दी अनुवाद – मैं श्री रामचन्द्र के चरणों का मन से स्मरण करता हूँ, श्री रामचन्द्र के चरणों का वाणी से कीर्तन करता हूँ, श्री रामचन्द्र के चरणों को सिर झुकाकर प्रणाम करता हूँ तथा श्री रामचन्द्र के चरणों की शरण लेता हूँ।
माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु- र्नान्यं जाने नैव जाने न जाने॥३०॥
हिन्दी अनुवाद – राम मेरी माता हैं, राम मेरे पिता हैं, राम स्वामी हैं और राम ही मेरे सखा हैं। दयामय रामचन्द्र ही मेरे सर्वस्व हैं, उनके सिवा और किसी को मैं नहीं जानता, बिल्कुल नहीं जानता।
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे च जनकात्मजा।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनन्दनम्॥३१॥
हिन्दी अनुवाद – जिनकी दायीं ओर लक्ष्मण जी, बायीं ओर जानकी जी और सामने हनुमान् जी विराजमान हैं, उन रघुनाथ जी की मैं वन्दना करता हूँ।
लोकाभिरामं रणरङ्गधरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम्।
कारुण्यरूपं करुणाकरं तं श्रीरामचन्द्रं शरणं प्रपद्ये॥३२॥
हिन्दी अनुवाद – जो सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर, रणक्रीडा में धीर, कमल नयन, रघुवंश नायक, करुणा मूर्ति और करुणा के भण्डार हैं, उन श्री रामचन्द्र जी की मैं शरण लेता हूँ।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये॥३३॥
हिन्दी अनुवाद – जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है, जो परम जितेन्द्रिय और बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, उन पवन नन्दन वानराग्रगण्य श्री राम दूत की मैं शरण लेता हूँ।
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम्॥३४॥
हिन्दी अनुवाद – कवितामयी डाली पर बैठकर मधुर अक्षरों वाले राम- राम इस मधुर नाम को कूजते हुए बाल्मीकि रूप कोकिल की मैं वन्दना करता हूँ।
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसम्पदाम्।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम्॥३५॥
हिन्दी अनुवाद – आपत्तियों को हरने वाले तथा सब प्रकार की सम्पत्ति प्रदान करने वाले लोकाभिराम भगवान् राम को मैं बारंबार नमस्कार करता हूँ।
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्॥३६॥
हिन्दी अनुवाद – 'राम-राम' ऐसा घोष करना सम्पूर्ण संसार बीजों को भून डालने वाला, समस्त सुख-सम्पत्ति की प्राप्ति कराने वाला तथा यमदूतों को भयभीत करने वाला है।
रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नमः।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोऽस्म्यहं
रामे चित्तलयः सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर॥३७॥
हिन्दी अनुवाद – राजाओं में श्रेष्ठ श्री राम जी सदा विजय को प्राप्त होते हैं। मैं लक्ष्मीपति भगवान्राम का भजन करता हूँ। जिन रामचन्द्र जी ने सम्पूर्ण राक्षस सेना का ध्वंस कर दिया था, मैं उनको प्रणाम करता हूँ। राम से बड़ा और कोई आश्रय नहीं है। मैं उन रामचन्द्रजी का दास हूँ। मेरा चित्त सदा राम में ही लीन रहे; हे राम ! आप मेरा उद्धार कीजिये।
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥३८॥
हिन्दी अनुवाद – (श्री महादेव जी पार्वती जी से कहते हैं-) हे सुमुखि ! राम नाम विष्णु सहस्र नाम के तुल्य है। मैं सर्वदा 'राम, राम, राम' इस प्रकार मनोरम राम नाम में ही रमण करता हूँ।
॥ इति श्री बुध कौशिक मुनि विरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
BK आस्था दीदी
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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
pragyaab.com
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